‘सुंदरबन में सात साल’ मूल रूप से बांग्ला भाषा में लिखा गया उपन्यास है जिसके लेखक हैं श्री बिभूतिभूषण बन्धोपाध्याय जी और श्री भुवनमोहन राय जी और जिसका हिंदी अनुवाद श्री जयदीप शेखर जी ने किया है।उपन्यास की भूमिका के अनुसार श्री भुवनमोहन राय जी ने अपनी बाल-पत्रिका ‘सखा ओ साथी’ में १८९५ में ‘ […]
हिन्दी साहित्य के किस्सा साढे चार यार में जो चार अदद थे , ज्ञानरंजन, काशीनाथ सिंह, रवीन्द्र कालिया और दूधनाथ सिंह में हमें दूधनाथ सबसे कमजोर रचनकार लगते थे। ज्ञानरंजन में देवदत्त प्रतिभा थी, काशीनाथ उत्कृष्टता की कीमत पर भी पठनीय बने रहे, रवीन्द्र कालिया हँसमुख गद्य के ब्रांड एम्बेसडर थे, लेकिन दूधनाथ हमें कभी […]
“उड़ते खग जिस ओर मुंह किए समझ नीड़ निज प्यारा बरसाती आंखों के बादल बनते जहां करुणा जल लहरें टकराती अनंत की, पाकर जहाँ किनारा , अरुण यह मधुमय देश हमारा” कॉर्नेलिया ने जब ये बात प्रसाद की कविता में कही थी तब से अब बहुत कुछ बदल गया ।अरुण शेखर का कविता संग्रह “मेरा […]
झीनी-झीनी बीनी चदरिया जैसी लोकप्रियता भले ही अब्दुल बिस्मिल्लाह के अन्य उपन्यासों को हासिल नहीं हुई हो, लेकिन पठनीयता और सामाजिक यथार्थ के प्रामाणिक अंकन की दृष्टि से उनके सभी उपन्यास अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ‘जहरबाद’ प्रकाशन की दृष्टि से अब्दुल बिस्मिल्लाह का तीसरा उपन्यास है, परंतु वस्तुतः: यह प्रथम प्रकाशित उपन्यास ‘समर शेष है’ से […]
यशपाल की दिव्या को ऐतिहासिक उपन्यास माना जाता है। दिव्या और दिव्या जैसे अन्य उपन्यासों को लेकर आलोचकों में काफी चर्चा इस बात की हुई है कि उपन्यास में इतिहास का अंश कितना होना चाहिए। वस्तुतः ‘ऐतिहासिक उपन्यास’ शब्द ही अपने आप में व्याघाती है। इतिहास हमेशा तथ्यों पर आधारित होता है। इतिहासकार को यद्यपि […]
एमएलए गजानन सिंह से वह कुछ इस तरह प्रभावित हुआ कि सब इंस्पेक्टर की नोकरी छोड़कर उसका खास आदमी बन गया। नेता की खातिर उसने ढेरों अपराध किये, जिसमे ताजा तरीन कारनामा, एक निर्दलीय उम्मीदवार -जिसका जीत जाना तय था- का दिनदहाड़े किया गया कत्ल था। मामले ने कुछ यूं तूल पकड़ा की नेता के […]
2004 में प्रदर्शित ‘द डे आफ्टर टूमारो’ में पर्यावरण संकट के भयावह रूप को दिखाया गया था। यद्यपि यह एक काल्पनिक कथा थी, लेकिन पिछले 15 वर्षों में यह कल्पना जिस तेजी से यथार्थ में रूपांतरित होने की ओर बढ़ी है, वह कहीं से भी उस फिल्म की कहानी से कम भयावह नहीं है। वैश्विक […]
‘झीनी-झीनी बीनी चदरिया’ अब्दुल बिस्मिल्लाह का सर्वाधिक चर्चित एवं प्रशंसित उपन्यास है। 1987 ई. में सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार से सम्मानित इस उपन्यास का कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। उपन्यास बनारस के साड़ी बुनकरों की ज़िंदगी पर आधारित है। वर्षों तक इन बुनकरों के जीवन के रेशे-रेशे को देखने के बाद लेखक […]
“अतीत की रीसती छत से मेरा वर्तमान ठोप- ठोप टपक रहा भविष्य के पेंदाहीन पात्र में” अभियन्यु अनत ( मॉरीशस के कवि ) कुली लाइंस एक साहित्यिक पुस्तक भर नहीं है, बल्कि इतिहास के उस दौर का चलचित्र (मनमोहन देसाई मार्का नहीं, बल्कि आर्ट मूवी की तरह) है, जिससे कि हममें से ज्यादातर लोग परिचित […]