कवि की स्त्री
सत्यवान छात्रावस्था में मैं और मणिराम साथ-ही-साथ पढ़ते थे। उस समय हम एक-दूसरे पर प्राण देते थे। वे बचपन के दिन थे। जब तक एक दूसरे को देख न लेते, शान्ति न मिलती। उस समय हमें बुद्धि न थी। पीछे से प्रेम का स्थान वैर ने ले लिया था, दोनों […]