चित्रसेन चितउर गढ राजा । कै गढ कोट चित्र सम साजा ॥ तेहि कुल रतनसेन उजियारा । धनि जननी जनमा अस बारा ॥ पंडित गुनि सामुद्रिक देखा । देखि रूप औ लखन बिसेखा ॥ रतनसेन यह कुल-निरमरा । रतन-जोति मन माथे परा ॥ पदुम पदारथ लिखी सो जोरी । चाँद सुरुज जस होइ अँजोरी ॥ […]
चंपावति जो रूप सँवारी । पदमावति चाहै औतारी ॥ भै चाहै असि कथा सलोनी । मेटि न जाइ लिखी जस होनी ॥ सिंघलदीप भए तब नाऊँ । जो अस दिया बरा तेहि ठाऊँ ॥ प्रथम सो जोति गगन निरमई । पुनि सो पिता माथे मनि भई ॥ पुनि वह जोति मातु-घट आई । तेहि ओदर […]
कवि सिंहलद्वीप, उसके राजा गन्धर्वसेन, राजसभा, नगर, बगीचे इत्यादि का वर्णन करके पद्मावती के जन्म का उल्लेख करता है। राजभवन में हीरामन नाम का एक अद्भुत सुआ था जिसे पद्मावती बहुत चाहती थी और सदा उसी के पास रहकर अनेक प्रकार की बातें कहा करती थी। पद्मावती क्रमश: सयानी हुई और उसके रूप की ज्योति […]