तुम आयी – केदारनाथ सिंह
तुम आयी जैसे छीमियों में धीरे- धीरे आता है रस जैसे चलते-चलते एड़ी में कांटा जाए धंस तुम दिखी जैसे कोई बच्चा सुन रहा हो कहानी तुम हंसी जैसे तट पर बजता हो पानी तुम हिली जैसे हिलती है पत्ती जैसे लालटेन के शीशे में कांपती हो बत्ती तुमने छुआ […]