फिंगरप्रिंट्स के ऊपर काफी कुछ लिखा जा चूका है और काफी जानकारियां पाठकों के पास भी हैं। इन्टरनेट के इस दौर में किसी भी जानकारी को पा लेना बहुत आसान हो गया है लेकिन एक जगह इकट्ठी जानकारी मिल पाना मुश्किल होता है। फिंगरप्रिंट का इतिहास, वह कैसे काम करता है, किस तरह से फिंगरप्रिंट […]
अपराध और अपराधी, दोनों ही क्राइम-डिटेक्शन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। क्राइम डिटेक्शन में अपराधी का कैसे पता लगाये जाए, यह जानना बहुत जरूरी है। अपराध-स्थल से मिलने वाला एक सुराग भी पुलिस या डिटेक्टिव को संदिग्ध व्यक्ति तक पहुँचाने में सहायता प्रदान करता है। ये सुराग पुलिस को, अपराध को री-कंसट्रक्ट करने में भी सहायता […]
क्राइम इन्वेस्टीगेशन में एविडेंस का महत्वपूर्ण योगदान है। एविडेंस एक ऐसी चीज है जिसके आधार पर न्यायलय किसी केस के लिए निर्णय लेती है। ऐसे एविडेंस कोर्ट के सामने इसलिए पेश किये जाते हैं ताकि वादी एवं प्रतिवादी पक्ष के बीच या दो पार्टी के बीच में बने विवाद के बिंदु को स्थापित किया जाए […]
सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के द्वारा लिखे गए लगभग सभी उपन्यास, क्राइम-फिक्शन श्रेणी के अन्दर आते हैं। चूंकि वो क्राइम-फिक्शन लिखते हैं तो उसमे क्राइम होना तो आम बात है। जब क्राइम हो कहानी में तो खून के धब्बे और उसकी धार दिखना भी साधारण सी बात है। कई बार ऐसा होता है कि […]
सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी ने एक लघु कथा “किताबी क़त्ल” लिखा था जिसे एक बार उपन्यास के रूप में भी छापा गया था। अगर आप इस कहानी को पढेंगे तो आप क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन के एक नुक्ते से आसानी से परिचित हो जायेंगे। खैर, आप सभी को अगर ध्यान न हो तो मैं आप सभी […]