कोई दोपहर को मुंशीजी और उनके ससुर आरा में फौजदार के मकान के पास पहुँचे। सदर दरवाजे पर एक बरकन्दाज बंदूक में संगीन लगाये पैंतरा चला रहा था। और एक कहार बर्तन मलता था। मुंशीजी ने पूछा-“फौजदार साहब कहाँ हैं?” बरकन्दाज – “दो मंजिले पर हैं। आप ऊपर चले जाइये|” ससुर-दामाद सीढ़ियों पर चढ़कर बालाखाना […]
अपराध और अपराधी, दोनों ही क्राइम-डिटेक्शन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। क्राइम डिटेक्शन में अपराधी का कैसे पता लगाये जाए, यह जानना बहुत जरूरी है। अपराध-स्थल से मिलने वाला एक सुराग भी पुलिस या डिटेक्टिव को संदिग्ध व्यक्ति तक पहुँचाने में सहायता प्रदान करता है। ये सुराग पुलिस को, अपराध को री-कंसट्रक्ट करने में भी सहायता […]
अध्याय 19 : मोदी की दुकान सरेंजा के पास पहुँचकर डाकू एक मोदी की दुकान में जा रुके। उन्होंने देखा कि मोदी कुटकी, तिलवा, चावल, दाल, सत्तू आदि चीजों से भरी हाँडी पतुकी चंगेली के बीच में गम्भीर भाव से बैठा है। और एक दूसरा आदमी उसके पास खड़ा होकर गाँजे का दम लगाते हुए […]
सस्पेंस के लिए चार जरूरी कारक हैं – पाठकों की सहानुभूति, पाठकों की चिंता, करीब से करीबतर खतरे और बढ़ता तनाव। पाठकों की सहानुभूति हासिल करने के लिए किरदार को महत्वाकांक्षा, इच्छा, घाव, आंतरिक संघर्ष आदि भावों का गहना पहना सकते हैं, जिससे पाठक उनके साथ जुड़ाव महसूस करे। जितना अधिक पाठक और किरदार के […]
कोन्फ्लिक्ट (टकराव/संघर्ष) एक क्राइम उपन्यास या कहानी में ‘सस्पेंस’ का होना बहुत जरूरी होता है। इसे आप अपराध गल्प कथाओं का प्रमुख तत्व भी कह सकते हैं। नए लेखकों के लिए ‘अपराध गल्प कथा’ में सस्पेन्स डालना उतना आसान नही रहता है, हालांकि उनकी कोशिश पुरजोर रहती है