“बीबी जी, आप आवेंगी कि हम चाय बना दें!” किलसिया ने ऊपर की मंज़िल की रसोई से पुकारा। “नहीं, तू पानी तैयार कर- तीनों सेट मेज़ पर लगा दे, मैं आ रही हूँ। बाज़ आए तेरी बनाई चाय से। सुबह तीन-तीन बार पानी डाला तो भी इनकी काली और ज़हर की तरह कड़वी. . .। […]
यशपाल की दिव्या को ऐतिहासिक उपन्यास माना जाता है। दिव्या और दिव्या जैसे अन्य उपन्यासों को लेकर आलोचकों में काफी चर्चा इस बात की हुई है कि उपन्यास में इतिहास का अंश कितना होना चाहिए। वस्तुतः ‘ऐतिहासिक उपन्यास’ शब्द ही अपने आप में व्याघाती है। इतिहास हमेशा तथ्यों पर आधारित होता है। इतिहासकार को यद्यपि […]