इस बार तो गजब ही हो गया। दो दिन पहले अचानक से तुम्हारा ईमेल आया, “किताब अच्छी है। लेकिन मैं अब वापस नहीं लौट सकती।” कोई नो यू टर्न का बोर्ड लगा है क्या?
खैर जाने दो। हम कर भी क्या सकते हैं। तुम तो पता नहीं किस रास्ते पर चली गयी हो।
लेकिन क्या याद है तुम्हें वो रात? कौन सी रात? मैं बताता हूँ।
उस रात करीब दस बजे मैं तुमसे बात कर रहा था। तभी तुमने कहा कि बाद में बात करोगी, और फ़ोन रख दिया। मुझे भी एक सीनियर से कुछ काम था तो मैं उनसे मिलने चला गया। वहाँ पहुँचा तो देखा कि कुछ सीनियर बैठ कर ताश खेल रहे थे। मुझे भी आमंत्रण मिल गया और तभी तुम भी कहीं व्यस्त थी तो खेलने में कोई बुराई नहीं लगी। बैठ कर खेलने लगा। समय का पता ही नहीं चला।
तभी अचानक से मेरा फ़ोन बज उठा। देखा तो तुम थी। कमरे से बाहर निकला। बरामदे में जाकर फ़ोन उठाया और उधर से तुम्हारी आवाज़ आयी, “हैप्पी बर्थडे।”
और सच बताऊँ तो जब तुमने फ़ोन किया तब याद आया कि मेरा बर्थडे है। उस दिन बस तुम्हारा फ़ोन आया था। उस बात को तीन साल हो गए। फिर कभी मेरे बर्थडे पर तुम्हारा न तो फ़ोन आया और न मैसेज। आज भी मेरा बर्थडे है और कल रात से जाने कितने ही मैसेज और फ़ोन आ गए हैं लेकिन मुझे तो अब भी बस उस एक ही कॉल का इन्तजार है।
जब कोई साथ नहीं था तब तुम साथ थी। अब जब बहुत लोग साथ हैं तो तुम नहीं हो।