एक गहन वन में दो शिकारी पहुंचे. वे पुराने शिकारी थे. शिकार की टोह में दूर – दूर घूम रहे थे, लेकिन ऐसा घना जंगल उन्हें नहीं मिला था. देखते ही जी में दहशत होती थी. वहां एक बड़े पेड़ की छांह में उन्होंने वास किया और आपस में बातें करने लगे. एक ने […]
भगवान ही जानता है कि जब मैं किसी को साइकिल की सवारी करते या हारमोनियम बजाते देखता हूँ तब मुझे अपने ऊपर कैसी दया आती है. सोचता हूँ, भगवान ने ये दोनों विद्याएँ भी खूब बनाई है. एक से समय बचता है, दूसरी से समय कटता है. मगर तमाशा देखिए, हमारे प्रारब्ध में कलियुग की […]
जब तक गाड़ी नहीं चली थी, बलराज जैसे नशे में था। यह शोरगुल से भरी दुनिया उसे एक निरर्थक तमाशे के समान जान पड़ती थी। प्रकृति उस दिन उग्र रूप धारण किए हुए थी। लाहौर का स्टेशन। रात के साढ़े नौ बजे। कराँची एक्सप्रेस जिस प्लेटफार्म पर खड़ा था, वहाँ हजारों मनुष्य जमा थे। […]
बाबू ब्रजनाथ क़ानून पढ़ने में मग्न थे, और उनके दोनों बच्चे लड़ाई करने में.श्यामा चिल्लाती, कि मुन्नू मेरी गुड़िया नहीं देता.मुन्नू रोता था कि श्यामा ने मेरी मिठाई खा ली. ब्रजनाथ ने क्रुद्ध हो कर भामा से कहा-तुम इन दुष्टों को यहाँ से हटाती हो कि नहीं ? नहीं तो मैं एक-एक की खबर लेता हूँ. […]
ज़रा ठहरिए, यह कहानी विष्णु की पत्नी लक्ष्मी के बारे में नहीं, लक्ष्मी नाम की एक ऐसी लड़की के बारे में है जो अपनी कैद से छूटना चाहती है. इन दो नामों में ऐसा भ्रम होना स्वाभाविक है जैसाकि कुछ क्षण के लिए गोविन्द को हो गया था. एकदम घबराकर जब गोविन्द की आँखें […]
मौन-मुग्ध संध्या स्मित प्रकाश से हँस रही थी। उस समय गंगा के निर्जन बालुकास्थल पर एक बालक और बालिका सारे विश्व को भूल, गंगा-तट के बालू और पानी से खिलवाड़ कर रहे थे। बालक कहीं से एक लकड़ी लाकर तट के जल को उछाल रहा था। बालिका अपने पैर पर रेत जमाकर और थोप-थोपकर एक […]
1. सुखदेव ने जोर से चिल्ला कर पूछा – ‘मेरा साबुन कहाँ है?’ श्यामा दूसरे कमरे में थी. साबुनदानी हाथ में लिए लपकी आई, और देवर के पास खड़ी हो कर हौले से बोली – ‘यह लो.‘ सुखदेव ने एक बार अँगुली से साबुन को छू कर देखा, और भँवें चढ़ा कर पूछा – ‘तुमने […]
अरी कहाँ हो? इंदर की बहुरिया! – कहते हुए आँगन पार कर पंडित देवधर की घरवाली सँकरे, अँधेरे, टूटे हुए जीने की ओर बढ़ीं. इंदर की बहू ऊपर कमरे में बैठी बच्चे का झबला सी रही थी. मशीन रोककर बोली – आओ, बुआजी, मैं यहाँ हूँ. – कहते हुए वह उठकर कमरे के दरवाजे तक […]
लखनऊ नेशनल बैंक के दफ्तर में लाला साईंदास आराम कुर्सी पर लेटे हुए शेयरो का भाव देख रहे थे और सोच रहे थे कि इस बार हिस्सेदारों को मुनाफ़ा कहां से दिया जायगा. चाय, कोयला या जूट के हिस्से खरीदने, चांदी, सोने या रूई का सट्टा करने का इरादा करते; लेकिन नुकसान के भय से […]