डायरी या आत्मालाप शैली में लिखी ‘यही सच है’ मन्नू भंडारी की सर्वाधिक चर्चित कहानियों में से एक है . यह कहानी है दीपा की या यूं कहें कि उसके अंतर्द्वंद्व की . निशीथ से निराश दीपा संजय की बाहों में सहारा ढूंढती है. उसे लगता है कि वह निशीथ को भूल गयी है , […]
खेती-बारी के समय, गाँव के किसान सिरचन की गिनती नहीं करते. लोग उसको बेकार ही नहीं, ‘बेगार‘ समझते हैं. इसलिए, खेत-खलिहान की मजदूरी के लिए कोई नहीं बुलाने जाता है सिरचन को. क्या होगा, उसको बुला कर? दूसरे मजदूर खेत पहुँच कर एक-तिहाई काम कर चुकेंगे, तब कहीं सिरचन राय हाथ में खुरपी डुलाता दिखाई पड़ेगा – पगडंडी पर तौल तौल […]
गाड़ी के डिब्बे में बहुत मुसाफिर नहीं थे। मेरे सामनेवाली सीट पर बैठे सरदार जी देर से मुझे लाम के किस्से सुनाते रहे थे। वह लाम के दिनों में बर्मा की लड़ाई में भाग ले चुके थे और बात-बात पर खी-खी करके हँसते और गोरे फौजियों की खिल्ली उड़ाते रहे थे। डिब्बे में तीन […]