चित्रकार की सी सुरुचि से, जो गुड़हल के दो फूल मेरे स्याह बालों में टांक देता है, प्रेम की सुबह में ये कोमल से सुंदर मनमोहक भाव जीवन की दोपहरी में जलते तपते सूरज से किस तरह लड़ते हैं.. आश्चर्य !! गुड़हल का शिरीष हो जाना, कलाकार का सिपाही हो जाना, प्रेमी का पिता हो […]
मैं तुमसे प्रेम करता हूँ इसका सबूत इससे बढ़कर क्या होगा कि अब फूलों को बस निहारता हूँ तोड़ता नहीं मुझे बगिया अब तुम्हारे ही बालों का जूड़ा लगती है मैं प्राची में उगते सूर्य को देख भर जाता हूँ असीम ऊर्जा से और पश्चिम में तुम्हारे घर की ओर अस्त होने की कामना से […]