गोवा! मेरी वर्षों से यही तमन्ना रही थी कि मुझे भी कभी गोवा घूमने का मौका मिले। फिल्मों और तस्वीरों में देखकर एवं दोस्तों से सुनकर मन हमेशा लालायित रहता था। जब मैं दिल्ली में रहते हुए आईपीएस की तैयारी कर रहा था,तब मेरे दोस्त हर साल गोवा घूमने जाते थे। वे मुझे भी साथ […]
मैं समझा नहीं…! इंस्पेक्टर मुस्कुराया, “आपका घर बहुत बड़ा है। इसकी तलाशी लेने में बहुत वक्त लगेगा। और वैसे भी तलाशी से पेंटिंग तो बरामद हो सकती है, लेकिन इससे चोरी किसने की, इसका पता कैसे लगाएंगे। हमारे लिए पेंटिंग बरामद करने से ज्यादा अहम है चोर…” यह कहते हुए इंस्पेक्टर अभय ने सभी की […]
ओम प्रकाश सहित वहाँ उपस्थित सभी इंस्पेक्टर की बात सुनकर चौक गए। “मतलब आप जानते है की चोरी किसने की है?”, ओम प्रकाश ने इंस्पेक्टर से पूछा। “जी, बिलकुल, और उसने ही बाहर पेड़ पर वह पुतला भी लटकाया था।“ “फिर देर किस बात की है, जल्दी बताइए कि यह किसकी करतूत है।“ “आप अपना […]
अल्का लाम्बा की घड़ी ने २ बजे का अलार्म बजाया तो उसने बहुत मुश्किल से अपनी आँखे खोली। उसे डॉक्टर की सख्त हिदायत थी की वह अपनी दवाइयां वक्त से खाया करे। उसे हर 6 घंटे पर दवाई खाना पड़ता था। जब वह अपने घर पर होती थी तो अलार्म लगाने की जरूरत नहीं पड़ती […]
पाठक साहब के सभी सैदाइयों को दिल से नमस्कार। आप सभी ने कई बार देखा होगा और गौर भी किया होगा की सुनील जब भी मौकायेवारदात पर पहुँचता है तो वहां देखे गए तथ्यों के अनुसार क़त्ल के होने का सूरत-ए-अहवाल या खाका खींच देता है। वह यह बात या तो रमाकांत को बताता […]
1. कोज़ी क्राइम ( Cosy Crime) – क्राइम फिक्शन जेनर की यह शाखा बहुत ही प्रसिद्द है। अमूमन एक छोटे से शहर में इसकी कहानी को प्लाट किया जाता है जहाँ एक हत्या के केस को हल करने के लिए पुलिस या प्राइवेट डिटेक्टिव काम करते हुए नज़र आते हैं। इसमें जुर्म का कोई ग्राफ़िक […]
किसी श्रीमान् जमींदार के महल के पास एक गरीब अनाथ विधवा की झोंपड़ी थी। जमींदार साहब को अपने महल का हाता उस झोंपड़ी तक बढा़ने की इच्छा हुई, विधवा से बहुतेरा कहा कि अपनी झोंपड़ी हटा ले, पर वह तो कई जमाने से वहीं बसी थी; उसका प्रिय पति और इकलौता पुत्र भी उसी झोंपड़ी […]
दिन-भर बैठे-बैठे मेरे सिर में पीड़ा उत्पन्न हुई : मैं अपने स्थान से उठा और अपने एक नए एकांतवासी मित्र के यहाँ मैंने जाना विचारा। जाकर मैंने देखा तो वे ध्यान-मग्न सिर नीचा किए हुए कुछ सोच रहे थे। मुझे देखकर कुछ आश्चर्य नहीं हुआ; क्योंकि यह कोई नई बात नहीं थी। उन्हें थोड़े ही […]
ऊनविंश पर जो प्रथम चरण तेरा वह जीवन-सिन्धु-तरण; तनये, ली कर दृक्पात तरुण जनक से जन्म की विदा अरुण! गीते मेरी, तज रूप-नाम वर लिया अमर शाश्वत विराम पूरे कर शुचितर सपर्याय जीवन के अष्टादशाध्याय, चढ़ मृत्यु-तरणि पर तूर्ण-चरण कह – “पित:, पूर्ण आलोक-वरण करती हूँ मैं, यह नहीं मरण, ‘सरोज’ का ज्योति:शरण – तरण!” अशब्द अधरों का सुना […]