अंग्रेजी सभ्यता और संस्कृति की खूबियाँ कहाँ तक गिनवायी जायें। उसने हम असभ्य हिन्दुस्तानियों को क्या कुछ नहीं दिया? हमारी गँवार औरतों को अपने शरीर की रेखाओं की नुमाइश के नित नये तरीके बताये। शारीरिक सुन्दरता का प्रदर्शन करने के लिए बिना आस्तीनों के ब्लाऊज पहनने सिखाये। मिस्सी-काजल छीन कर उनके सिंगारदानों में लिपिस्टिक, रूज, […]
कई दिन से दोनों पक्ष अपने-अपने मोर्चे पर जमे हुए थे। दिन में इधर और उधर से दस बारह फ़ायर किए जाते जिन की आवाज़ के साथ कोई इंसानी चीख़ बुलंद नहीं होती थी। मौसम बहुत ख़ुशगवार था। हवा ख़ुद ही उगे फूलों की महक में बसी हुई थी। पहाड़ियों की ऊंचाइयों और ढलवानों पर […]
बंटवारे के दो-तीन साल बाद पाकिस्तान और हिंदुस्तान की हुकूमतों को ख्याल आया कि अख्लाकी कैदियों की तरह पागलों का भी तबादला होना चाहिए, यानी जो मुसलमान पागल हिन्दुस्तान के पागलखानों में हैं उन्हें पाकिस्तान पहुंचा दिया जाय और जो हिन्दू और सिख पाकिस्तान के पागलखानों में है उन्हें हिन्दुस्तान के हवाले कर दिया जाय। […]
अमृतसर से स्पेशल ट्रेन दोपहर दो बजे चली और आठ घंटों के बाद मुगलपुरा पहुंची। रास्ते में कई आदमी मारे गए। अनेक जख्मी हुए और कुछ इधर-उधर भटक गए। सुबह दस बजे कैंप की ठंडी जमीन पर जब सिराजुद्दीन ने आंखें खोलीं और अपने चारों तरफ मर्दों, औरतों और बच्चों का एक उमड़ता समुद्र देखा […]