मन्नू भंडारी
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एक प्लेट सैलाब
मई की साँझ! साढ़े छह बजे हैं। कुछ देर पहले जो धूप चारों ओर फैली पड़ी थी, अब फीकी पड़कर इमारतों की छतों पर सिमटकर आयी है, मानो निरन्तर समाप्त होते अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिए उसने कसकर कगारों को पकड़ लिया हो। आग बरसाती हुई हवा धूप […]
यही सच है ( रजनीगंधा )
डायरी या आत्मालाप शैली में लिखी ‘यही सच है’ मन्नू भंडारी की सर्वाधिक चर्चित कहानियों में से एक है . यह कहानी है दीपा की या यूं कहें कि उसके अंतर्द्वंद्व की . निशीथ से निराश दीपा संजय की बाहों में सहारा ढूंढती है. उसे लगता है कि वह निशीथ […]