हिन्दी साहित्य के किस्सा साढे चार यार में जो चार अदद थे , ज्ञानरंजन, काशीनाथ सिंह, रवीन्द्र कालिया और दूधनाथ सिंह में हमें दूधनाथ सबसे कमजोर रचनकार लगते थे। ज्ञानरंजन में देवदत्त प्रतिभा थी, काशीनाथ उत्कृष्टता की कीमत पर भी पठनीय बने रहे, रवीन्द्र कालिया हँसमुख गद्य के ब्रांड एम्बेसडर थे, लेकिन दूधनाथ हमें कभी […]
जब कभी हिन्दी कविता की बात होगी, गजानन माधव मुक्तिबोध की चर्चा अवश्य होगी। मुक्तिबोध की कविताओं की एक विशेषता है, एक तरह का अधूरापन और औपन्यासिकता । यह कहना असंगत न होगा कि जो बीहड़ विमर्श और वैसा ही बीहड़ रचनाशिल्प उन्होंने चुने थे उसके परिणामस्वरूप यह अधूरापन अनिवार्य ही था। उनका रचनाकाल छायावाद […]
यह उन कुछ दु:स्वप्नों में एक था जो हमें हमेशा डर था कि किसी दिन सच हो जायेंगे । इरफान नहीं हैं, यह एक सच है जो दिमाग जान चुका है लेकिन दिल बदमाशी पर आमादा है। कहता है, “हट, इरफान भी कभी मरा करते हैं। रात रात भर जागेगा तो ऊँघेगा और जब ऊँघेगा […]