यह दीप अकेला -अज्ञेय
यह दीप अकेला स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो।
यह जन है : गाता गीत जिन्हें फिर और कौन गाएगा?
पनडुब्बा : ये मोती सच्चे फिर कौन कृती लाएगा?
यह समिधा : ऐसी आग हठीला बिरला सुलगाएगा।
यह अद्वितीय : यह मेरा : यह मैं स्वयं विसर्जित –
यह दीप, अकेला, स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो।
यह मधु है : स्वयं काल की मौना का युग-संचय,
यह गोरस : जीवन-कामधेनु का अमृत-पूत पय,
यह अंकुर : फोड़ धरा को रवि को तकता निर्भय,
यह प्रकृत, स्वयंभू, ब्रह्म, अयुत : इसको भी शक्ति को दे दो।
यह दीप अकेला स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो।
यह वह विश्वास, नहीं जो अपनी लघुता में भी काँपा,
वह पीड़ा, जिसकी गहराई को स्वयं उसी ने नापा;
कुत्सा, अपमान, अवज्ञा के धुँधुआते कड़ुवे तम में
यह सदा-द्रवित, चिर-जागरूक, अनुरक्त-नेत्र,
उल्लम्ब-बाहु, यह चिर-अखंड अपनापा।
जिज्ञासु, प्रबुद्ध, सदा श्रद्धामय, इसको भक्ति को दे दो –
यह दीप, अकेला, स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो।
कठिन शब्द
- स्नेह – (तत्सम, संज्ञा, पुल्लिंग) वात्सल्य, प्रेम, प्यार, मित्रता, तेल, चिकनाई
- मदमाता – (विशेषण) – मस्त, नशे में झूमता, मतवाला
- पंक्ति – (तत्सम, संज्ञा, स्त्रीलिंग) – कतार, सीधी लकीर में होना
- जन – (तत्सम, संज्ञा, पुल्लिंग) – साधारण व्यक्ति, मनुष्य, जनता, प्रजा, आम आदमी
- पनडुब्बा – (संज्ञा, पुल्लिंग)-पानी में गोता लगाने वाला-गोताख़ोर, एक पक्षी जो नदी या तालाब में गोता लगाकर मछलियाँ पकड़ता है -मुरगाबी
- कृती – (तत्सम, विशेषण)- उल्लेखनीय कार्य करने वाला, कुशल, निपुण, पुण्यात्मा
- समिधा – (तत्सम, संज्ञा, स्त्रीलिंग)- यज्ञ या पूजा के समय हवन में जलाई जाने वाली सामग्री (लकड़ी आदि जो हवन में जलाई जाती हैं।)
- हठीला – (विशेषण) -हठी, ज़िद्दी
- बिरला – (विशेषण) -कोई कोई, बहुत लोगों में कोई एक
- अद्वितीय – (तत्सम,विशेषण) – अ + द्वितीय, जिसके समान कोई दूसरा न हो, अनोखा, निराला, विलक्षण
- विसर्जित – (तत्सम, विशेषण) – जिसका विसर्जन हुआ हो, त्यागा हुआ, छोड़ा हुआ, श्रद्धापूर्वक प्रवाहित किया गया
- मधु – (तत्सम, संज्ञा, पुल्लिंग) -शहद, फूलों का रस, मकरंद, शराब, मीठा
- मौना – (तत्सम, संज्ञा, पुल्लिंग) – टोकरी, बर्तन, मटका
- युग-संचय – (तत्सम) – युगों से इकट्ठा किया हुआ
- गोरस – (तत्सम, संज्ञा, पुल्लिंग) – गाय का रस, दूध, दही, मट्ठा, छाछ
- काम धेनु- इच्छाएँ पूरी करने वाली चमत्कारी गाय, जिसका दूध अमृत के समान, समुद्र मंथन से प्राप्त
- पय (तत्सम, संज्ञा, पुल्लिंग) – दूध, पानी
- अंकुर – (तत्सम, संज्ञा, पुल्लिंग) – बीज से निकलने वाला नया पौधा
- धरा – (तत्सम, संज्ञा, स्त्रीलिंग) – धरती, पृथ्वी
- रवि- (तत्सम, संज्ञा, पुल्लिंग) – सूर्य
- निर्भय – (तत्सम, विशेषण) – नि: + भय, जिसे कोई भय न हो, निडर
- प्रकृत – (तत्सम, विशेषण) – सहज, मूल रूप में, स्वाभाविक, ठीक उसी रूप में जिस रूप में प्रकृति द्वारा उत्पन्न किया गया
- स्वयंभू – (तत्सम, विशेषण) – अपने आप पैदा होने वाला
- ब्रह्म – (तत्सम, संज्ञा, पुल्लिंग) – ईश्वर, आत्मा, परमात्मा
- अयुत – (तत्सम, विशेषण) – अलग, जो मिला हुआ न हो