मैं ने देखा, एक बूँद -अज्ञेय
मैं ने देखा
एक बूँद सहसा
उछली सागर के झाग से
रँग गई क्षण भर
ढलते सूरज की आग से।
मुझको दीख गया :
सूने विराट् के सम्मुख
हर आलोक-छुआ अपनापन
है उन्मोचन
नश्वरता के दाग से!
कठिन शब्द
सहसा- अचानक
विराट् – (तत्सम, विशेषण, संज्ञा) – बहुत बड़ा, ब्रह्म
उन्मोचन – (तत्सम) – मुक्ति, आजादी
नश्वरता – (तत्सम) – नाश होने की प्रवृत्ति, नष्ट हो जाने का गुण