भाषा : भाषा उस यादृच्छिक, रूढ़ ध्वनि प्रतीकों की व्यवस्था को कहते हैं , जिसके माध्यम से मनुष्य परस्पर विचार विनिमय करता है. यह समाज का एक अलिखित समझौता है.
लिपि:- लिपि उस यादृच्छिक, रूढ़ , वर्ण प्रतीको की व्यवस्था को कहते हैं , जिसके माध्यय से भाषा को लिखित रूप दिया जाता है. भाषा और लिपि में अनिवार्य सम्बंध नहीं है. लाखों वर्षों तक भाषा बिना लिपि के ही रही है.
भाषा और लिपि में अंतर
क) भाषा सूक्ष्म होती है, लिपि स्थूल
ख) भाषा में अपेक्षाकृत अस्थायित्व होता है, क्योंकि भाषा उच्चरित होते ही गायब हो जाती है. लिपि में अपेक्षाकृत स्थायित्व होता है.
ग) भाषा ध्वन्यात्मक होती है, लिपि दृश्यात्मक.
घ) भाषा सद्य प्रभावकारी होती है, लिपि किंचित विलंब से
ङ) भाषा ध्वनि संकेतों की व्यवस्था है, लिपि वर्ण- संकेतों की.
च) भाषा में सुर, अनुतान आदि की अभिव्यक्ति हो सकती है, लिपि में नहीं.
भाषा और लिपि में समानता
क) भाषा और लिपि दोनों भावाभिव्यक्ति का माध्यम हैं.
ख) दोनों सभ्यता के विकास के साथ अस्तित्व में आईं.
ग) दोनों का विशेष ज्ञान शिक्षा आदि के जरिए संभव है.
घ) दोनों के माध्यम से संपूर्ण भावाभिव्यक्ति संभव नहीं है.
ङ) भाषा समस्त भावों की अभिव्यक्ति नहीं कर सकती और लिपि भाषा में अभिव्यक्त समस्त भावों की भी अभिव्यक्ति नहीं कर सकती.
धन्यवाद. फुटनोट जोड़ दिया है….
संक्षिप्त में सुन्दर जानकारी। कई शब्द इसमें ऐसे हैं जो शायद आम पाठकों के समझ में न आयें। उदाहरण के लिए : यादृच्छिक। इस प्रकार के लेख में अगर फुट नोट में ऐसे जटिल शब्दों का अर्थ भी हो तो लेख और पठनीय बन सकता है।