Skip to content
0 0 votes
Article Rating

 मैं ने देखा

एक बूँद सहसा
उछली सागर के झाग से
रँग गई क्षण भर
ढलते सूरज की आग से।

मुझको दीख गया :
सूने विराट् के सम्मुख
हर आलोक-छुआ अपनापन
है उन्मोचन
नश्वरता के दाग से!


कठिन शब्द 

सहसा- अचानक 
विराट् – (तत्सम, विशेषण, संज्ञा) – बहुत बड़ा, ब्रह्म
उन्मोचन – (तत्सम) – मुक्ति, आजादी 
नश्वरता – (तत्सम) – नाश होने की प्रवृत्ति, नष्ट हो जाने का गुण 

मैं ने देखा, एक बूँद -अज्ञेय : प्रश्नोत्तर

कवि/लेखक परिचय

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
सभी टिप्पणियाँ देखें