कैसे लिखें मर्डर मिस्ट्री?
क्राइम फिक्शन, विश्व भर में सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली विधा है। हर वर्ग का पाठक इस विधा को कभी न कभी पढ़ता ही है। आप और हम देखते हैं कि अनेकानेक भाषाओं में विश्वस्तरीय क्राइम फिक्शन पुस्तकों का अनुवाद होता और वे बड़े चाव से पढ़े जाते हैं। ईबुक की दुनिया में तो प्रतिदिन कोई न कोई पुस्तक ईबुक के रूप में ईबुक प्लेटफॉर्म पर अपलोड की जाती हैं। क्राइम फिक्शन विधा में मिस्ट्री, खासकर मर्डर मिस्ट्री उपन्यासों की बहुत डिमांड होती है और आप इस विधा को सर आर्थर कॉनन डायल, एडगर एलन पो, अगाथा क्रिस्टी, पैरी मेसन, ओम प्रकाश शर्मा, वेद प्रकाश काम्बोज, सुरेन्द्र मोहन पाठक जैसे धुरंधर क्राइम फिक्शन लेखक से लेकर कईगो हिगाशीनो, ली चाइल्ड, विश धमीजा, सलील देसाई, कंवल शर्मा, संतोष पाठक जैसे इस दौर के लेखक तक को देख सकते हैं। ये तो वो नाम हैं, जिनकी किताबें इन पंक्तियों के लेखक ने पढ़ी हैं।
मिस्ट्री एक पहेली होती है, एक उलझन होती है, एक कोई गुप्त चीज होती है, ऐसा कुछ जो सभी के लिए अनजान हो। ऐसी पहेलियों को हल करने का एक ही तरीका होता है कि हम अपने मन में उमर रहे निम्न सवालों का जवाब खोज लें जो निम्न शब्दों से बना हुआ हो:-
कौन?
क्या?
कहाँ?
कब?
क्यों?
कैसे? या कितना?
कौन –
कौन हमेशा कहानी के किरदारों से संबंधित होता है क्योंकि प्रत्येक किरदार का संबंध कहानी में हुए अपराध से जाने या अनजाने तरीके से होता ही है। जैसे कि कोई विटनेस हो सकता है, कोई इन्वेस्टिगेटर हो सकता है, कोई विक्टिम हो सकता है या कोई ऐसा भी हो सकता है जिसके कारण इन्वेस्टिगेटर पूरी इन्वेस्टीगेशन से ही बाहर निकल सकता है।
जब आप अपने किरदारों को लिख लें, तो देखें कि निम्न से कौन किस रोल में फिट होता है :-
१) कौन विक्टिम/विक्टिम्स है/हैं?
२) कौन-कौन अपराधी हो सकते हैं?
३) कौन-कौन गवाह हैं?
४) कौन-कौन शक़ की निगाहों में आ रहे हैं?
५) किस-किसने अपराधी का अपराध में साथ दिया? कौन अपराधी के साथी हैं?
६) इंवेस्टिगेटर्स कौन हैं?
७) कौन है जिसे अपराध के बारे में सबसे पहले पता चला और किसने सबसे पहले पुलिस को इसकी सूचना दी?
क्या –
परिस्थितियों के आधार पर लेखक को निम्न प्रश्नों के उत्तरों के बारे जरूर सोचना चाहिए, हालांकि कहानी-दर-कहानी यह बदल भही सकता है :-
१) क्या हुआ? क्या घटना घटी है? क्या अपराध हुआ है?
२) अलायकत्ल क्या है? क्या चोरी हुआ है?
३) अपराध का उद्द्येश्य क्या है?
कहाँ-
यह अमूमन इस बात पर निर्भर करता है कि आपने अपनी कहानी पृष्ठभूमि एवं भौगौलिक स्थिति कहाँ निश्चित की हुई है।
जैसे कि इन प्रश्नों पर लेखक ध्यान दे सकते हैं :-
१) पूरी कहानी की घटनाएं कहाँ घटित हुई हैं? अर्थात पूरी कहानी की पृष्ठभूमि में किस भौगौलिक स्थान को सेट किया गया है।
२) अपराध कहाँ हुआ है?
३) विक्टिम कहाँ था?
४) अलॉयकत्ल कहाँ था? अलॉयकत्ल को इस्तेमाल करने वाला अपराधी कहाँ था?
५) अपराधी कहाँ छुपा हुआ था?
६) गवाह एवं सस्पेक्ट कहाँ थे जब अपराध घटित हुआ?
कब –
किसी भी अपराध कथा एवं उसके अंदर चल रहे तहकीकात के लिए, समय बहुत मायने रखता है।
१) अपराध कब घटित हुआ?
२) अपराध कब पुलिस की जानकारी में आया?
३) कब पुलिस मौकाए-वारदात पर पहुंची?
४) कब इन्वेस्टिगेटर ने पहले, दूसरे, तीसरे सुराग को पाया?
५) इन्वेस्टिगेटर ने कब अपराध का हल खोज निकाला?
६) कब अपराधी को पुलिस से धर-दबोचा।
७) सस्पेक्टस एवं गवाहों की टाइम मूवमेंट क्या थी?
क्यूं-
किसी भी अपराध कथा के लिए यह मूल प्रश्न होता है। आपकी कहानी में इस बात का खुलासा जरूर होना चाहिए कि अपराध हुआ तो किस कारण से हुआ। निम्न प्रश्नों को जरिये आप इस फैक्टर की विशेषता समझ सकते हैं, जो कि किसी भी अपराध कथा में होना निहायत जरूरी होता है:-
१) गुनाहगार ने अपराध क्यूं किया?
२) अपराधी ने खास उसी व्यक्ति को ही अपने अपराध के लिए क्यूं चुना?
३) ऐसा क्यों हो कि आपका इन्वेस्टिगेटर ही अपराध को हल करे?
४) अपराध को हल करने और अपराधी को खोज निकालने में आपके इंवेस्टिगेटर्स को इतना वक़्त क्यों लगा?
५) क्यों अपराधी ने खास वही हथियार अपराध करने के लिए चुना?
६) क्यों अपराधी ने खास वही वक़्त, खास वही समय, खास वही जगह अपराध करने के लिए चुनी?
इस तरह से हम रीडर के नज़रिए से अगर देखें तो हमें कई प्रकार के कारणों से, इवन हर चीज के लिए एक तथ्यपरक, एक लॉजिकल रीज़न के साथ प्रस्तुतिकरण करना पड़ेगा ताकि रीडर उसे पढ़ कर संतुष्ट हो सके।
कैसे या कितना
जब आप अपराध-कथा लिख रहे होते हैं तो आपको हर घटना को, हर स्थिति को, इस तरीके से एक धागे में पिरोना होता है, इस तरह से एक्सप्लेन करना होता है कि पाठक के सामने सब वास्तविक जैसा लगे। आप निम्न प्रश्नों की बानगी देखिए, जिससे आपकी कहानी में एक वास्तविकता पुट आता नज़र आएगा:-
१) पूरा तहकीकात कितना लंबा चला?
२) अपराधी ने अपराध को कैसे अंजाम दिया?
३) अपराधी कैसे पकड़ा गया?
४) कैसे इन्वेस्टिगेटर को अपराधी के बारे में पता चला कि वह ही अपराधी है?
५) कैसे इन्वेस्टिगेटर ने सभी तथ्यों और तर्कों को जोड़कर, दो और दो चार निकाला और अपराधी को पॉइंट आउट किया?
६) कैसे अपराधी ने अपराध करके खुद को बचाने की कोशिश की?
७) कैसे जाने-अनजाने में, कहानी के अन्य किरदारों ने, इन्वेस्टिगेटर के तहकीकात में अड़ंगा डाल कर तहकीकात बंद कराने की कोशिश की?
उपरोक्त में से कई प्रश्न हो सकता है आपके काम के न हों पर अगर इन्हें बार-बार अगर खुद से कहानी के अनुरूप पूछा, कहानी के संबंध में पूछा जाए तो प्लाट में आये कई लूपहोल्स की जानकारी आपको हो जाएगी और आप अपने पाठक को एक परफेक्ट कहानी पेश कर पाएंगे। जरूरी नहीं कि आपकी कहानी के संबंध में, उपरोक्त प्रश्न ही दिमाग में आये, हो सकता है आपके दिमाग में कुछ अलग प्रकार के प्रश्न आएं पर जो आएं उसे खुद से जरूर पूछें।
तो अपराध कथा लेखक को, खासकर मिस्ट्री कथा लेखक को, खासकर मर्डर मिस्ट्री लेखक को, आप एक इन्वेस्टिगेटर भी मान सकते हैं जो खुद ही अपराध के इर्द गिर्द किरदारों एवं घटनाओं के जरिये कहानियों का जाल बुनता है और खुद ही उन्हीं घटनाओं और किरदारों के इस्तेमाल करके, उस जाल को, उस पहेली को सुलझाता है।
तो आप कब अपराध कथा लिखना शुरू कर रहे हैं???
आभार
राजीव रोशन
September 21, 2018 @ 7:10 pm
बहुत ही उम्दा लेख लिखा है राजीव जी, लेखन क्षेत्र में पर्दापण करने वालों के लिए बहुत ही प्रयोज्य तथा सार्थक लेख, हार्दिक शुभकामनाएं इस लेख के लिए, समय निकाल कर आपके अन्य लेख भी जरूर पढूंगा?
September 22, 2018 @ 9:19 am
बहुत बढ़िया
ये सब चीजे कितना मायने रखता एक उपन्यास में ये बताया आपने मुझे भी पढ़ते समय यही लगता को आखिर मिस्ट्री बनती कैसे लेखक घटना को किस तरह से राहस्यात्मक पुट देता
बढ़िया लिखा आपने???
September 22, 2018 @ 9:59 am
बहुत शानदार लेख। मिस्ट्री- क्राइम के नवोदित लेखकों के लिए यह एक गाइड का काम कर सकती है।
September 22, 2018 @ 10:14 am
बेहतरीन लेख। अपराध कथा लेखन के हर पहलू को आपने छू लिया है। उम्मीद है नए लेखकों को इससे काफी कुछ सीखेंगे। आभार।
फिलहाल फॉन्ट का साइज काफी छोटा है। इसे बढ़ा दें तो बेहतर रहेगा। सफ़ेद बैकग्रॉउंड पर ग्रे टेक्स्ट कम उभर कर आ रहा है। टेक्स्ट का रंग थोड़ा गहरा स्याह हो तो टेक्स्ट उभर कर आएगा और पढ़ने में शायद लोगों को आसानी होग।
आगे भी ऐसे लेखों का इन्तजार रहेगा।
duibaat.blogspot.com
September 22, 2018 @ 8:21 pm
बहुत ही ज्ञानपरक लेख राजीव भाई। ऐसे ही और ज्ञानवर्धक लेखों का इंतजार रहेगा।