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लेखन में लंबा ब्रेक

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लेखकों के लिए, लेखन से लिया गया एक लंबा ब्रेक, उसके लिए एक श्राप के समान होता है। कभी-कभी ये ब्रेक जानबूझ कर लिए जाते हैं तो कभी स्थिति ऐसी बन आती है कि स्वतः ही ब्रेक लग जाता है। आपने अपने रोज लिखने की आदत से खुद को तोड़ लिया है या आप महीनों-हफ्तों से लिख रहे हैं लेकिन अचानक कुछ ऐसा घट जाता है, लेखन से मन उचट जाता है। कई स्थितियां उभर सकती हैं, इस बिंदु पर। ऐसी स्थितियों से उबरने में लिए आप एक दिन का ब्रेक लेते हैं, फिर दो दिन का, फिर यह सिलसिला चलता ही जाता है। आप अपने बंद लैपटॉप या धूल खाती डायरी को देखते रहते हैं।

लेकिन इसमें परेशान होने की कोई बात नही है। आप अकेले नहीं है जो ऐसे समय से गुजर रहे हैं या गुजरे हैं। हर प्रकार के लेखक को ब्रेक की जरूरत पड़ती है। समस्या तब की है जब आप लेखन में वापिसी करना चाहते हैं और ये ब्रेक आपको वापिस नहीं आने देता| इन परिस्थितियों में, सबसे बेहतरीन सलाह तो यही है कि कुछ भी लिखिए। कुछ भी मतलब कुछ भी। भले ही वो आपके लेखन विधा से मेल न खाता हो, भले ही आप उसे पूरा न कर पाएं, अपने आस-पास देखिए, किसी चीज के बारे में लिख दीजिये, अपने रोजमर्रा की जिंदगी के बारे में ही लिख दीजिये, भले ही उसे कोई पढ़े नही। बात यह है कि आपकी कलम चलनी चाहिए, उसमें बहाव आना चाहिए, आपके कीबोर्ड पर उंगलियां थिरकनी चाहिए, एक बार आपकी उंगलियों में शब्दों का इंजन आयल प्रवेश करने की देर है, आपका इंजन रूपी मस्तिष्क अपना काम करना शुरू कर देगा। कुछ समझ नही आ रहा है कि क्या लिखना है, तो किसी एक वाक्य को बार-बार लिखिये।

याद रखिये :- करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान । रसरी आवत-जात के, सिल पर परत निशान ।।

मुझे नही लगता कि पुराने लय में, लौटने में आपको ज्यादा वक्त लगेगा। जल्दी ही आप फिर से रफ्तार पकड़ लेंगे और लेखन की मशीन चलने लगेगी। जब तक आप अपने पुराने फॉर्म में वापिस नही आ जाते तब तक इस तरीके को अपना सकते हैं।

#amwriting

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