वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम, सह धूप-घाम, पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर। सौभाग्य न सब दिन सोता है, देखें, आगे क्या होता है। मैत्री की राह बताने को, सबको सुमार्ग पर लाने को, दुर्योधन को समझाने को, भीषण विध्वंस बचाने को, भगवान् हस्तिनापुर आये, पांडव का संदेशा लाये। ‘दो न्याय अगर […]
दो में से क्या तुम्हे चाहिए कलम या कि तलवार मन में ऊँचे भाव कि तन में शक्ति अजेय अपार अंध कक्षा में बैठ रचोगे ऊँचे मीठे गान या तलवार पकड़ जीतोगे बाहर का मैदान जला ज्ञान का दीप सिर्फ़ फैलाओगे उजियाली अथवा उठा कृपाण करोगे घर की भी रखवाली कलम देश की बड़ी शक्ति […]
दिव की ज्वलित शिखा सी उड़ तुम जब से लिपट गयी जीवन में, तृषावंत मैं घूम रहा कविते ! तब से व्याकुल त्रिभुवन में ! उर में दाह, कंठ में ज्वाला, सम्मुख यह प्रभु का मरुथल है, जहाँ पथिक जल की झांकी में एक बूँद के लिए विकल है। घर-घर देखा धुआं पर, सुना, विश्व […]