अध्याय ८: हीरा सिंह का मकान हीरा सिंह एक बड़ा भारी जमींदार था। उसका धन-ऐश्वर्य अपार और दबदबा बेहद था। उन दिनों शाहाबाद जिले में उसकी जोड़ का कोई जमींदार नहीं था। हीरा सिंह दानी-मानी और आचारी था। सब तीर्थों में उसके बनाए मंदिर और बड़े-बड़े शहरों में उसकी कोठियां थी। वह मुरार में रहता […]
अध्याय ७: नौरतन का खँडहर डुमरांव से उत्तर नौरतन नाम का खंडहर है। कहते हैं राजा विक्रमादित्य की तरह राजा भोज के दरबार में भी नौरतन थे। राजा ने उनके लिए एक बैठक बनवाई थी। जिस समय का यह हाल है, उस समय नवरतन का खँडहर अनेक प्रकार की वृक्ष-लता आदि से बहरा होने के […]
अध्याय ६: सलाह पार्वती उसी अटारी में पलंग पर बेहोश पड़ी है, हिलती है न डोलती है। विधवा बहु उसके पास बैठी सेवा-शुश्रूषा करती है। मुंशी जी दालान में बैठकर ससुर जी के जख्मों पर जल में भिंगो-भिंगो कर पट्टी बाँध रहे हैं। दलीप सिंह सीढ़ी के नीचे खड़ा होकर चिलम पी रहा है। सभी […]