पिछला भाग यहाँ पढ़ें ग्यारहवां बयान क्रूरसिंह को बस एक यही फिक्र लगी हुई थी कि जिस तरह बने वीरेंद्रसिंह और तेजसिंह को मार डालना ही नहीं चाहिए, बल्कि नौगढ़ का राज्य ही गारत कर देना चाहिए। नाजिम को साथ लिए चुनारगढ़ पहुँचा और शिवदत्त के दरबार में हाजिर होकर नजर दिया। महाराज इसे बखूबी […]
बयान -1 शाम का वक्त है, कुछ-कुछ सूरज दिखाई दे रहा है, सुनसान मैदान में एक पहाड़ी के नीचे दो शख्स वीरेंद्रसिंह और तेजसिंह एक पत्थर की चट्टान पर बैठ कर आपस में बातें कर रहे हैं। वीरेंद्रसिंह की उम्र इक्कीस या बाईस वर्ष की होगी। यह नौगढ़ के राजा सुरेंद्रसिंह का इकलौता लड़का है। […]
हिन्दी के आरंभिक उपन्यासों में देवकीनंदन खत्री की चंद्रकांता अग्रगण्य है। यह उपन्यास पहली बार 1893 में प्रकाशित हुआ था। कहते हैं, इस उपन्यास को पढ़ने के लिए बहुत से लोगों ने देवनागरी सीखी। तिलिस्मी-अय्यारी की रहस्यमय और रोमांचक दुनिया की सैर कराने वाला यह उपन्यास आज भी उतना ही लोकप्रिय है। न सिर्फ इस […]