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3 Comments

  1. विक्की
    February 25, 2020 @ 1:43 pm

    अधूरा प्रेम … मिलके भी अधूरा रहा

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  2. Alok Verma
    February 29, 2020 @ 4:43 pm

    निस्तब्ध

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  3. पवन रावत
    April 19, 2020 @ 10:27 pm

    बचपन में भी पढ़ी थी पर नाम याद नहीं रहा।।तब भी एक टीश सी रह गयी थी पढ़कर।।बाद के दिनों में अभी शेखर जोशी जी की बहुत कहानी पढ़ी।।कोसी का घटवार भी सुना बहुत बार।।पर ये याद नहीं आया कि ये वही बचपन की कहानी है।।आज भी बचपन सी एक अधूरापन मन में आया है

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