Skip to content

7 Comments

  1. विक्की
    August 31, 2018 @ 11:43 pm

    जंगली बूटी??
    बहुत बढ़िया कहानी

    Reply

  2. Amit Wadhwani
    September 1, 2018 @ 12:39 am

    सिर्फ जंगली बूटी ही नहीं पान और बर्फी(मिठाई) भी कमाल थे, और चाय तो मेरी आल टाइम फेवरेट है।?
    ON A SERIOUS NOTE, GURUJI-
    बहुत ही अच्छी कहानी चुनी आपने, प्रणाम, अंगूरी के किदार का इतना सुंदर और सटीक वर्णन है की उसके काल्पनिक पात्र होने की कल्पना भी कठिन हो जाती है, कहानी की व्याख्या इतनी यशेष्ठ है मानो चलचित्र की भांति आँखों के आगे घटित हो रही हो, बस कहानी का मर्म समझने में दिक्कत हो रही है लेखिका कहानी के माध्यम से क्या संदेशा दे रहीं है, क्या अनपढ़ अबला नारी की व्यथा या आज भी देहात में बसी और पल रही कुरीतियां का प्रदर्शन या पाप पर प्रेम की विजय, अगर हो सके तो कृपया खुलासा कीजियेगा।

    Reply

    • राजीव सिन्हा
      September 1, 2018 @ 9:12 am

      गहरे अंतर्मन में कहीं दबे प्रेम की स्वीकारोक्ति….
      इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’
      कि लगाए न लगे और बुझाए न बने

      Reply

  3. Amit Wadhwani
    September 1, 2018 @ 9:07 am

    सिर्फ बूटी ही नहीं बल्कि पान और बर्फी(मिठाई) भी बढ़िया थे और चाय तो मेरी आल टाइम फेवरेट है ही, ?
    ON A SERIOUS NOTE-
    सबसे पहले इतने सुंदर चुनाव के लिए आपको बधाई,
    गुरूजी ?, लेखिका ने कहानी इतनी सुंदर तथा चरित्र चित्रण इतना सजीव किया है की ऐसा प्रतीत होता है मानो कहानी को पढ़ नहीं रहे बल्कि एक चल चित्र की भांति एक एक दृश्य आँखों के समक्ष से गुजर रहा है, अंगूरी का पात्र पूरी कहानी में छाया रहा, पर यह समझ नहीं आया कहानी की हाईलाइट किसे समझे, लेखिका ने मानो एक साथ कई पहलु कई विचार एक साथ गूँथ के कहानी के माध्यम से व्यक्त किये है,1) देहात में आज भी सबसे ज्यादा हो रहे औरत के शोषण को,2) आज भी देहात में पल और बढ़ रही कुरीतियों और कुप्रथाओं को जो औरत को एक कोलू के बैल की तरह किसी साथ भी बाँध देती है या फिर लेखिका यह दर्शाना चाहती है 3)किसी से प्रेम होना इसकी अनुभूति इसका एहसास इतना सुघड़ होता है की अबोध निर्बल व्यक्ति भी पाप से बेखौफ और जिंदागी के प्रति उत्साही हो जाए, कृपया इस पर आपके विचारों से भी अवगत कारवाइयेगा गुरूजी।

    Reply

  4. NUTAN SINGH
    May 10, 2020 @ 4:24 pm

    Aisi rachnakaar ki rachna pe tippani karne me ham saksham nahi.
    Dil jo kah raha hai batate hain.
    Jisse rishta lagaa usse anjaan thi,dil jispe aa gaya wo v apna nahi tha .
    Jindagi fir v chalti rahti hai dil ko aag lage to aansuo se tar kar k aur dil baidhne lage to aas ka deepak jalaakar.

    Reply

  5. Khan Ishrat Parvez
    June 28, 2020 @ 11:22 pm

    अम्रता प्रीतम मेरे प्रिय लेखकों में अव्वल में आती हैं। यह कहानी ‘जंगली बूटी’ कोई पच्चीस वर्ष पहले पढ़ी थी। दो-चार कहानियां और पढ़ीं। फिर उपन्यास ‘एक थी अनीता’, ‘कोरे कागज़’, ‘पिंजर’। तब से ही अम्रता प्रीतम का सैदाई हो गया हूँ। उन्हीं वर्षों में मैंने ‘वशीकरण’कहानी तहरीर की थी। पाठकों ने प्रक्रिया दी कि आप तो अम्रता प्रीतम की शैली को कॉपी कर रहे हैं लेकिन मैं समझता हूँ कि अम्रता जी को कसरत से पढ़ने की बदौलत अनचाहे ही उनका प्रभाव झलक गया होगा। मैंने यत्न पूर्वक ऐसा कोई प्रयास नही किया था। आप अम्रता प्रीतम साहित्य के प्रति मेरी दीवानगी का इस बात से ही अंदाजा लगा सकते हैं।

    Reply

    • साहित्य विमर्श
      June 29, 2020 @ 12:05 pm

      शुक्रिया सर. अगर संभव हो तो अपनी कहानियाँ साहित्य विमर्श के पाठकों के लिए भी उपलब्ध करायें.

      Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *