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पाठकों को कहानी से कैसे बांध कर रखें : पेचीदे सवाल – दिलचस्प किरदार

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आपने गैंग ऑफ वासेपुर, शॉशांक रिडेम्पशन, डार्क नाईट – बैटमैन सीरीज, फारेस्ट गंप, शोले, मिर्जापुर, ये मेरी फैमिली, सेक्रेड गेम्स, कोटा फैक्ट्री, पिचर्स आदि आदि देखा होगा।
अब आप पूछेंगे कि प्लेटफॉर्म लेखकों के लिए है, बात किताबों या लेखकों की होनी चाहिए लेकिन मुझे उम्मीद है कि आज की जनरेशन किताब पढ़ने से ज्यादा मूवी देखना पसंद करती है, वेब सीरीज देखना पसंद करती है।
उपरोक्त में जिन मूवीज या सीरीज का नाम है, आप उनमें खुद को किरदारों से या किसी एक किरदार से जोड़ लेते हैं। जैसे सेक्रेड गेम्स में आप नवाजुद्दीन सिद्दकी या सैफ अली खान के किरदार से खुद को जोड़ कर देखते हैं। उनके साथ कुछ बुरा होने के संभावना आपके अंदर क्यूरोसिटी जागृत करती है, जिसके कारण आप पूरी सीरीज देख पाते हैं।
वो स्टार प्लस पर आने वाले एकता के कपूर के टी वी सीरियल्स याद हैं आपको? एक समय था जब घर की महिलाओं को उन डेली सोप्स की बड़ी गंदी आदत लगी हुई थी, इतनी की सब इधर का उधर हो जाएगा लेकिन एपिसोड नहीं छूटना चाहिए। ऐसा क्रेज़ कि अगर कम से कम दो महिलाएं एक जगह इकट्ठी हो जाती थी तो उन डेली सोप्स के बीते एपिसोड पर तब्सिरा और आगे आने वाले एपिसोड में होने वाली घटनाओं की संभावना तलाशना ही मुख्य मुद्दा होता था।
आइये अब उन दौर में चलते हैं जब भारत में घर-घर में टीवी नहीं हुआ करता था, जब लोग रामानंद सागर निर्मित रामायण देखने के लिए टीवी के आगे उमर पड़ते थे। ऐसा नहीं तो लोगों ने रामायण पढ़ा नहीं था, सुना नहीं था, लेकिन टीवी पर जब यह उतर कर आया तो लोगों ने उस किरदार को, सभी किरदारों को अपने दिल के करीब बसा लिया। बुनियाद, महाभारत, मालगुडी डेज, फौजी आदि सुपरहिट, दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले टीवी सीरियल्स लोगों को बड़े भाये।
मैं जब यह लेख, लेखन से संबंधित लिख रहा हूँ तो क्यों टीवी या वेब कंटेंट्स का नाम ले रहा हूँ, जो कि कई बुद्दिजीवियों के अनुसार पुस्तकों के कम पढ़े जाने का या कम लिखे जाने का कारण माने जाते हैं। बात यह है कि लेखक हो या पाठक, मनोरंजन के इस साधन – टीवी और वेब एंटरटेनमेंट से कोई अछूता नहीं रहा है।
उपरोक्त सभी प्रकार के विसुअल कंटेंट की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि मास ने, उसको देखने वाले दर्शकों ने जब उसे देखना शुरू किया तो वह डायरेक्टर द्वारा बांध दिए गए क्योंकि डायरेक्टर ने इस तरह से कहानी को उनके सामने परोसा की वे उस कहानी के किरदारों से खुद को लिंक कर गए और जब दर्शक कहानी के किसी किरदार से, उसके सुख-दुख-स्थिति-परिस्थिति आदि से खुद को जोड़ लेता है, तो वह पहले मिनट से लेकर अंतिम सेकंड तक कहानी को छोड़ता नहीं है।
कुछ ऐसा ही क्राइम फिक्शन या किसी भी प्रकार के फिक्शन में होना चाहिए। अगर आप अपनी कहानी के किसी किरदार को पाठकों के दिल से जोड़ सके तो पाठक पूरी कहानी पढ़े बगैर भागेगा नहीं। किसी भी लेखक के लिए सबसे महत्वपूर्ण काम होता है – पाठक को कहानी से बांधे रखना – जो ऐसा कर पाया है या कर पाएं हैं, आज वो सफलता की सीढ़ी चूम रहे हैं।
एक उदाहरण से समझिए, जो लेखन की दुनिया से ही है। सुरेंद्र मोहन पाठक जी, जो भारतीय अपराध कथा लेखकों में से अग्रणी लेखक माने जाते है, बेताज बादशाह हैं वो हिंदी अपराध कथा लेखन के, कई लेखकों के मेंटॉर हैं, उनका एक किरदार – सरदार सुरेंद्र सिंह सोहल उर्फ विमल है जो कि उनके पाठकों के बीच बहुत प्रसिद्ध है। यह किरदार एक घोषित अपराधी है लेकिन सुरेंद्र मोहान पाठक ने इस किरदार को अपने पाठकों के दिल में इस तरह बिठाया हुआ है कि पाठकों उपन्यास पढ़ते रहने के दौरान इस किरदार से घृणा नहीं प्रेम हो जाता है, वो चाहते हैं कि कुछ भी यह किरदार मरे नहीं, पुलिस से पकड़ा न जाये आदि। लगभग 50 वर्षो में वो 42 उपन्यासों के जरिए इस किरदार और इसके एक्ट को पाठकों के धड़कन बना चुके हैं। पाठक साहब के प्रशंसक एवं ट्रेड पंडित कहते हैं कि पाठक साहब जानते हैं कि पाठको कि नब्ज़ कैसे पकड़ी जाए।
तो किसी पाठक को बांधे रखने वाले कथानक में एक तो यह हो कि किसी किरदार को पाठक के दिल से बांध डालिये।
दूसरा, कहानी में कुछ पेचीदा एवं दिलचस्प सवाल डालते जाइये। फिर से विसुअल कंटेंट के जरिये समझाता हुँ – बाहुबली-2 की हाइप जितनी ‘कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा’ ने किया, उतना कोई भी नहीं कर पाया। बाहुबली 1 अंत के एक सवाल – दिलचस्प और पेचीदा सवाल – ने दर्शको को बाहुबली 2 देखने पर मजबूर किया। खैर यह तो पूरी एक मूवी के अंत में आया सवाल था, लेकिन लेखकों को पाठकों को बांधे रखने के लिए, अपनी कहानी में ढेरों ऐसे पेचीदा सवाल छोड़ने पड़ते हैं ताकि पाठक उसका जवाब ढूंढने की कोशिश में पूरी कहानी पढ़ जाए और नावेल पढ़ना न छोड़े।
जब आप कहानी लिख रहे हों तो कम से कम एक प्रश्न तो अवश्य ऐसा डालें जो पाठक को बांधे। आप कई प्रश्न भी डाल सकते हैं, जैसे ही एक प्रश्न का हल आने वाला हो, क्योंकि लेखक सिर्फ सवाल डाल कर अपना पीछा नहीं छुड़ा सकता उसे एक तार्किक/लॉजिकल हल भी पाठको के सामने पेश करना पड़ेगा, आप दूसरा प्रश्न इंट्रोड्यूस कर सकते हैं।
आप पहले पहल अपने माइंड में उस कहानी के बारे में सोच लीजिये, जिसे आप उपन्यास या कथा की शक्ल देना चाहते हैं। अब उस कहानी से संबंधित अधिक से अधिक पेचीदा-दिलचस्प प्रश्न बना डालिये। इस तरह अगर लेखन के दौरान किसी प्रश्न को इन्सर्ट करने राह गए हैं तो आसानी से डाल पाएंगे और बार-बार उस लिस्ट को देखते रहने से आप आसानी से कहानी को आगे बढ़ा पाएंगे।
इसी तरह कोशिश कीजिये कि आपकी कहानी के शुरुआती पन्नों में ही आप कहानी के मुख्य किरदार को इस तरह प्रस्तुत करें कि पाठक उससे अपना जुड़ाव आसानी से कर ले। मतलब थोड़ा बहुत इमोशनल अत्याचार – पाठक पर – काफी रहेगा, शानदार काम करेगा।
तो, वर्तमान समय के जिम्मेदार लेखकों एवं आदरणीय पाठकों, जो कि जल्दी ही लेखक बनेंगे – आपकी किताब की सेल तभी बढ़ेगी – जब पाठक उसको खरीद कर 10 लोगों से कहेगा कि भाई एक सिटींग में पढ़ डाली, हिलने का मौका नहीं मिला, भोजन करना भूल गया आदि तो मार्केटिंग में कोई पैसा लगाए बगैर आपकी किताब बिक जाएगी और बेस्ट सेलर का लेवल अचीव करेगी। वहीं पाठकों को अच्छी और मजेदार किताब पढ़ने को मिलेगीं। तो लेखक महोदय गण, आप इनसे दिलचस्प प्रश्न और दिल में उतर जाने वाले किरदार अपनी कहानियों में अवश्य डालें।
आभार
©राजीव रोशन

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