लेखन और पाठन में खो जाना
कई बार, किसी लेख, किसी कहानी, किसी उपन्यास को लिखने के दौरान, लेखक खुद में ही नहीं रहता। वह उस रचना से इस तरह जुड़ जाता है कि उसे अपने आस-पास घट रही घटना की कोई खबर ही नहीं होती है। लेखक उस रचना में इस तरह खो जाता है, जैसे कि वही उसकी दुनिया हो और ऐसा तब तक ही होता है जब तक वह लिखता रहता है।
ऐसा ही कुछ पुस्तकें पढ़ने के दौरान होता है लेकिन उस वक़्त वह उस लेखक की दुनिया में रहता है जिसकी वह पुस्तक पढता है, जबकि आप जब लिख रहे होते हैं तो आप अपने द्वारा गढ़ी दुनिया में ही खोये रहते हैं।
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