अपराध गल्प लेखन : एक नज़र #६
मिथक में क्राइम डिटेक्शन
पिछले पांच हिस्से लिखने के बाद, आज आपको फिर से ‘बैक टू स्क्वायर’ वहीं लेकर जा रहा हूँ जहां से इस सीरीज के लेखों की शुरुआत हुई थी। नहीं, मैं आपको उससे पहले के समय में लेकर जा रहा हूँ। जब लेखन नहीं किया जाता था तब कहानियों को सुना जाता था और आगे उसे सुना-सुना कर ही बढ़ाया जाता था। ऐसी कई कथाएं आप जानते होंगे, जो सिर्फ किस्सागोई के जरिये ही हम तक पहुंची है। आज हम बात करने वाले हैं, उन कथाओं एवं कहानियों के बारे में, जो मिथक कहलाते हैं, फॉल्कटेल्स कहलाते हैं। इन मिथक एवं फॉल्कटेल्स की उम्र कई सौ एवं हज़ार वर्षों की है। क्या इन मिथक कहानियों में, अपराध एवं अपराध के उलझे रहस्य का कोई अस्तित्व है, यही इस लेख में हम जानेंगे।
एक सामान्य सी धारणा यह बनी हुई है कि एडगर एलन पो की कहानियों के द्वारा ही डिटेक्टिव फिक्शन का आरंभ हुआ। लेकिन जैसा कि आपने इस सीरीज के लेखों में पढ़ा होगा, कि यह विधा पहले से अस्तित्व में आ चुकी थी, बस बात यह थी कि एडगर एलन पो और आर्थर कॉनन डायल ने अपनी कहानियों में उसे पूर्णता दी। डोरोथी एल. सेयर्स ने न्यूयॉर्क में, 1929 में अपराध कथाओं के कलेक्शन को प्रकाशित करवाया। इस कलेक्शन का नाम था – Great short stories of detection, mystery and horror – यह विश्व का पहला ओमनीबस कलेक्शन था। इसमें उन्होंने चार ऐसी कहानियों का जिक्र किया है जो क्राइम फिक्शन विधा से बहुत पहले का था। दो कहानी चौथी एवं पहली सदी की थी जिसे बुक ऑफ डेनियल में से लिया गया था वहीं एक कहानी ग्रीक इतिहासकार हेरोडोटस की कहानी से लिया गया था जो कि पांचवीं सदी से संबंधित थी जबकि एक कहानी हरक्यूलिस की मिथकीय कथा से संबंधित था।
लेकिन पहले एक भारतीय परिपेक्ष प्रस्तुत कर देना बेहतर होगा इसलिए पहले बात करता हुँ, हिन्दू के धर्मग्रंथ, रामायण के बारे में – रामायण की कहानी में जब रावण द्वारा सीता का अपहरण कर लिया जाता है तब राम एवं लक्ष्मण द्वारा उनकी खोज शुरू होती है। कई तथ्यों एवं सुरागों के सहारे वे सीता को खोज निकालने के लिए दक्षिण भारत के अंत कन्याकुमारी में समुद्र के सहारे खड़े हो जाते हैं। गौरतलब हो कि सुरागों के रूप में राम एवं लक्ष्मण को, सीता के गहने मिलते हैं तो तथ्यों के रूप में जटायु का बयान उन्हें रावण के बारे में बताता है। राम अपने मित्र एवं सेवक हनुमान को लंका जाकर सीता के खोज खबर लाने के बारे में कहते हैं। हनुमान सफलतापूर्वक सीता की खबर ले भी आते हैं। इस तरह से हम, रामायण में, अपराध एवं अपराध के तहकीकात को भली भांति देखते हैं। इससे साफ पता चलता है कि 17 वीं शताब्दी से पूर्व भी अपराध एवं अपराधों की तहकीकात होती थी लेकिन उस समय ‘अपराध गल्प’ या ‘क्राइम-फिक्शन’ नामक शब्द प्रचलित नहीं था जो कहानी को नाम दिया जा सकता।
अब हरक्यूलिस की मिथकीय कहानी की तरफ बढूं तो यह हरक्यूलिस और कॉकस नामक चोर की कहानी है। इस कहानी में कॉकस नामक चोर अपने आप को बचाने के लिए फुटप्रिंट में जालसाजी करता है और सुरागों से छेड़छाड़ करता है। कॉकस शायद पहला अपराधी होगा जिसने सुरागों के साथ छेड़छाड़ किया होगा।
हेरोडोटस की कहानी, राजा Rahmpsinitus और चोरों, की कहानी को पहले ‘लॉक्ड रूम मिस्ट्री’ के रूप में देखा जा सकता है। इसमें एक कमरे में हत्या हो जाती है, जिसमे किसी भी अपराधी के लिए अंदर घुसना और बाहर निकलना असम्भव होता है। हेरोडोटस और कॉकस, दोनों ही कहानियों में अपराधी, एविडेंस के साथ छेड़छाड़ करते हैं ताकि बच सकें।
डेनियल की कहानी, ‘Susanna and the elders’ में, दो जज Susanna पर व्याभिचार का आरोप लगाते हैं। डेनियल दोनों जजों से क्रॉस-क्वेश्चन करके उनके झूठ का पर्दा फाश करता है और बेकसूर Susanna को बचाता है। दोनों ही जजों को मौत की सजा मिलती है। वहीं कहानी ‘Daniel and priests of Bel’ में, Bel के एक मंदिर का पुजारी दावा करता है कि उस मंदिर में बने ड्रैगन का स्टेचू रात में जीवित हो उठता है और जो फल एवं प्रसाद उस मंदिर में चढ़ाए जाते हैं, उसे खा जाता है, जबकि यह काम वह पुजारी खुद, सपरिवार, उस मंदिर के किसी चोर दरवाजे से रात में आकर कर जाया करता था। डेनियल रात में मंदिर को बंद एवं सील करने से पूर्व फर्श पर राख डाल देता है, अतः जब रात में पुजारी आता है तो उसके पांव के निशान बन जाते हैं। कहा जाता है कि पुजारी को उसके परिवार सहित मौत की सजा दे दी गयी थी। कई विद्वान कहते हैं कि जो लोग इन मिथक कथाओं में अपराध को खोजने की कोशिश करते हैं, उन्हें सिर्फ एक पहेली ही प्राप्त होती है और जैसा कि कहा जाता है पहेलियां डिटेक्टिव फिक्शन का एक हिस्सा हैं, तो उन्हें डिटेक्टिव फिक्शन नहीं कहा जा सकता है।
अब ‘ राजा ओएडिपुस’ कहानी को लीजिये जिसका 430 BC में पहली बार नाट्य-मंचन किया गया था। इसमें डिटेक्टिव स्टोरी, क़त्ल के इर्द-गिर्द रहस्य का जाल, कई सस्पेक्टस और कई गड़े मुर्दे उखड़ते हैं। होता कुछ यूं है कि ‘थेबेस शहर’ में अचानक प्लेग फैल जाता है, ऐसे में शहर की जनता राजा ओएडिपुस के सामने प्रार्थना करने पहुंचती है। ओएडिपुस जिसने पिछले प्लेग को खत्म करके स्फिंक्स के सामने अपनी योग्यता दर्शा कर राजा बना था, पर इस प्लेग को खत्म करने की जिम्मेदारी आयद हो जाती है। वह अपने छोटे भाई क्रेयॉन को ओरेकल के पास इस प्लेग से छुटकारे के लिए जवाब लाने को भेजता है। क्रेयॉन आकर ओरेकल का यह जवाब सुनाता है कि इस प्लेग का अंत तब होगा जब ओएडिपुस से पहले वाले राजा लाइस (Laius) के हत्यारे को शहर से बेदखल या तड़ीपार कर दिया जाएगा। इसका मतलब यह था कि हत्यारा शहर के अंदर ही था। ओएडिपुस जब स्फिंक्स से पूछता है कि लाइस का हत्यारा कौन है तो उनका जवाब होता है कि ओएडिपुस ही लाइस का हत्यारा था। बाद में चश्मदीद गवाह के जरिये यह भी साबित हो जाता है। लेकिन ओएडिपुस को हत्यारा डिटेक्शन के तरीके से नही बल्कि सुपर-नेचुरल थिंग का इस्तेमाल करके साबित किया गया।
हिन्दू माइथोलॉजी में, एक और किस्सा है, क्राइम डिटेक्शन से संबंधित – यह किस्सा मूल महाभारत में है या नही पर इन पंक्तियों के लेखक ने इसे – कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी जी की किताब – पाँच पांडव में पढ़ा था। जब वरनावत में पांचों पांडवों को जला के मार देने की साज़िश में दुर्योधन एवं शकुनि सफल हो जाते हैं तो कृष्ण के ऊपर पांडवों को खोजने का जिम्मा आता है। कृष्ण अपने मित्र उद्धव को पांडवों को खोज में निकालने की सलाह देते हैं। पांडवों को मृत मानते हुए, फिर भी कृष्ण के आदेश पर उद्धव, पांडवों को खोजने के लिए, असम तक की यात्रा करते हैं, जहां उन्हें पांडव मिल जाते हैं। उद्धव की यह यात्रा रोमांचक है, जो क्राइम डिटेक्शन जैसा ही मजा देती है।
16 वीं शताब्दी के अंत एवं 17 वीं शताब्दी के आरंभ तक रिवेंज ट्रेजेडी का बोलबाला था। रिवेंज ट्रेजेडी – में अपराध के बाद दोषियों को मौत की सजा दिए जाने का काम जिसके साथ अपराध हुआ, उसके द्वारा ही किया जाता था। ऐसे रिवेंज के किस्से हमारे मिथक कहानियों में भरे पड़े हैं, जैसे कि महाभारत की कहानी में जब अश्वाथामा ने अपने पिता द्रोणाचार्य की हत्या के लिए पांडव के पाँचों बेटों की हत्या कर दी थी वह भी किसी रिवेंज ट्रेजेडी से कम नहीं थी| रिवेंज ट्रेजेडी में मूलतः न्याय की परिभाषा ही बदल जाती है| ऊपर के किस्सों में भी न्याय के परिभाषाएं उसी मनुष्य तक सिमित रही हैं जिसके साथ अन्याय हुआ है या जो पीड़ित है|
आप भी एक बार गौर करके देखिये कि क्या किसी मिथक कहानी या फ़ोल्कटेल्स में, क्राइम-डिटेक्शन से जुड़ा कोई तथ्य है, जिसे आप जानते होवें|