अशिक्षित का हृदय
(1) बूढ़ा मनोहरसिंह विनीत भाव से बोला — “सरकार, अभी तो मेरे पास रुपए हैं नहीं, होते, तो दे देता। ऋण का पाप तो देने ही से कटेगा। फिर, आपके रुपए को कोई जोखिम नहीं। मेरा नीम का पेड़ गिरवी धरा हुआ है। वह पेड़ कुछ न होगा, तो पचीस-तीस […]