
पाठक साहब के सभी सैदाइयों को दिल से नमस्कार। आप सभी ने कई बार देखा होगा और गौर भी किया होगा की सुनील जब भी मौकायेवारदात पर पहुँचता है तो वहां देखे गए तथ्यों के अनुसार क़त्ल के होने का सूरत-ए-अहवाल या खाका खींच देता है। वह यह बात या तो रमाकांत को बताता है या प्रभुदयाल को। लेकिन ऐसा बहुत कम होता है की पुलिस की लाइन ऑफ़ एक्शन और सुनील की लाइन ऑफ़ एक्शन एक ही रही हो।
ऐसा ही आप सभी ने देखा होगा की, सुनील हर उपन्यास के अंत में तथ्यों, तर्कों और विश्लेषणों के आधार पर एक कहानी सुनाता है जो की तर्कपूर्ण लगता है, जिससे कि हत्यारा या मुजरिम आसानी से पकड़ा जाता है। इस कहानी में सुनील अपनी खोजबीन और तहकीकात को तो शामिल करता ही है साथ ही कल्पनाओं के आधार पर कुछ बातें उस बिंदु से आगे की भी कह देता है। सुनील इस कहानी में प्रभुदयाल से मिली मटेरियल ज्ञान का भी इस्तेमाल करता है – जैसे की फॉरेंसिक रिपोर्ट, फिंगर प्रिंट्स रिपोर्ट, बैलेस्टिक रिपोर्ट आदि। इस तरह से सुनील की इस कहानी में कुछ उसके अपने तर्क के साथ-साथ, तहकीकात से जुडी सत्य बातों का भी समावेश होता है।