यहाँ के हम सिकन्दर-उपन्यास अंश ( तुम तक)
हॉस्टल में सुबह ही एक आकाशवाणी से होती थी- “जागो वत्स, जीवन रेस है। दौड़ो, क्योंकि तुम प्रतिस्पर्धा में हो।” 350 लड़कियाँ और सीमित संसाधन। हर एक मिनट में “हाउ लॉंग?” की आवाज़ बाथरूम एरिया को सजीव बनाए रखती थी। ‘आय विल टेक माइ टाइम।’ का जवाब प्रतिस्पर्धा के निर्मम […]