घनगरज- साहित्य विमर्श प्रतियोगिता-2018-तृतीय पुरस्कार

(उनको समर्पित जिनके लिए वतन…. धर्म और मज़हब से बढ़ कर था। उनको सुनाने के लिए जिनके लिए कौम और धर्म उनके मुल्क से बढ़ कर हैं. ) 18 मार्च 1858 (झांसी के किले में कहीं किसी जगह) “कितने हैं?” “दस हजार से कम न होंगे हुज़ूर साहिबा! पंद्रह भी […]