प्रेमचन्द हिंदी साहित्य के एक ऐसे वट वृक्ष हैं जिनकी छाया में साहित्य का हर पल्लव पल्लवित होता है ,उनकी रचनाओं की छाँह में एक सुख है ,एक सुकून है ।उनके पुत्र अमृतराय ने भी एक बार कहा था कि “प्रेमचन्द सिर्फ उनके नहीं,बल्कि सभी के हैं “।अब ये बात और भी समीचीन मालूम पड़ती […]
माया के तीन रूप होते हैं ,-कामिनी,कंचन ,कीर्ति ।इसी में एक माया जब दूसरी माया पर आकर्षित हो गयी तब तो गजब होना ही था।यानी एक देवी जी को कीर्ति की यशलिप्सा जाग उठी। इस कीर्ति को पाने का साधन बना एक यंत्र ।उस यंत्र को प्रणाम करके आँखे बंद करना और आंख खोलकर सबसे […]
कुछ समय पहले टीवी पर एक इश्तहार आता था जिसमें सब झूम झूम कर कहा करते थे कि “जो तेरा है वो मेरा है जो मेरा है वो तेरा” इस थीम को ध्येय वाक्य बना लिया चीन ने और चौदह देशों से सटी अपनी सीमाओं पर यही फार्मूला अपना लिया और हर तरफ हाथ पांव […]