काजर की कोठरी खंड-9
काजर की कोठरी खंड-8 के लिए क्लिक करें काजर की कोठरी सभी खंड बाँदी की अम्मा पारसनाथ से मनमाना पुर्जा लिखवाकर नीचे उतर गई और अपने कमरे में न जाकर एक दूसरी कोठरी में चली गई जिसमें सुलतानी नाम की […]
काजर की कोठरी खंड-8 के लिए क्लिक करें काजर की कोठरी सभी खंड बाँदी की अम्मा पारसनाथ से मनमाना पुर्जा लिखवाकर नीचे उतर गई और अपने कमरे में न जाकर एक दूसरी कोठरी में चली गई जिसमें सुलतानी नाम की […]
काजर की कोठरी खंड-7 के लिए क्लिक करें काजर की कोठरी -सभी खंड इस समय हम बाँदी को उसके मकान में छत के ऊपरवाली उसी कोठरी में अकेली बैठी हुई देखते हैं जिसमें दो दफे पहिले भी उसे पारसनाथ और हरनंदन के साथ देख चुके हैं। […]
काजर की कोठरी खंड-6 के लिए क्लिक करें काजर की कोठरी के सभी खंड अब हम अपने पाठकों को एक ऐसी कोठरी में ले चलते हैं जिसे इस समय कैदखाने के नाम से पुकारना बहुत […]
नागर थोड़ी दूर पश्चिम जाकर घूमी और फिर उस सड़क पर चलने लगी जो रोहतासगढ़ की तरफ गई थी। पाठक स्वयं समझ सकते हैं कि नागर का दिल कितना मजबूत और कठोर था। उन दिनों जो रास्ता काशी से रोहतासगढ़ को जाता था, वह बहुत ही भयानक और खतरनाक […]
पारसनाथ अपने चाचा के हाल-चाल बराबर लिया करता था। उसने अपने ढंग पर कई ऐसे आदमी मुकर्रर कर रखे थे जो कि लालसिंह का रत्ती-रत्ती हाल उसके कानों तक पहुँचाया करते और जैसा कि प्रायः कुपात्रों के संगी-साथी किया करते हैं उसी तरह उन खबरों में बनिस्बत सच के झूठ […]