कटोरा भर खून खंड-1
लोग कहते हैं कि नेकी का बदला नेक और बदी का बदला बद से मिलता. है मगर नहीं, देखो, आज मैं किसी नेक और पतिव्रता स्त्री के साथ बदी किया चाहता हूँ। अगर मैं अपना काम पूरा कर सका तो कल ही राजा का दीवान हो जाऊँगा। फिर कौन कह […]
लोग कहते हैं कि नेकी का बदला नेक और बदी का बदला बद से मिलता. है मगर नहीं, देखो, आज मैं किसी नेक और पतिव्रता स्त्री के साथ बदी किया चाहता हूँ। अगर मैं अपना काम पूरा कर सका तो कल ही राजा का दीवान हो जाऊँगा। फिर कौन कह […]
काजर की कोठरी खंड-12 के लिए क्लिक करें काजर की कोठरी सभी खंड सरला और शिवनंदन के शादीवाले दिन का हाल बयान करते हैं। वह दिन पारसनाथ और हरिहरसिंह के लिए बड़ी खुशी का दिन था। हरनंदन की इच्छानुसार बाँदी ने पूरा-पूरा बंदोबस्त कर दिया था […]
काजर की कोठरी खंड-11 के लिए क्लिक करें काजर की कोठरी सभी खंड पारसनाथ बाजार को तय करता हुआ ऐसी जगह पहुँचा, जहाँ से बहुत तंग और गंदी गलियों का सिलसिला जारी होता था और इन गलियों में घूमता हुआ एक उजाड़ मुहल्ले में पहुँचा, जहाँ […]
काजर की कोठरी खंड-10 के लिए क्लिक करें काजर की कोठरी सभी खंड आज हम फिर हरनंदन और उनके दोस्त रामसिंह को एक साथ हाथ में हाथ दिए उसी बाग के अंदर सैर करते देखते हैं जिसमें एक दफे पहिले देख चुके हैं। यों तो उन दोनों में बहुत […]
काजर की कोठरी खंड-9 के लिए क्लिक करें काजर की कोठरी सभी खंड अब हम थोडा-सा हाल लालसिंह के घर का बयान करते हैं। लालसिंह को घर से गायब हुए आज तीन या चार दिन हो चुके हैं। न तो वे किसी […]