चंद्रकांता संतति भाग 7 बयान 2 के लिए क्लिक करें रात पहर भर से ज्यादा जा चुकी है। तेजसिंह उसी दो नम्बर वाले कमरे के बाहर सहन में तकिया लगाये सो रहे हैं। चिराग बालने का कोई सामान यहाँ मौजूद नहीं जिससे रोशनी करते, पास में कोई आदमी नहीं जिससे दिल बहलाते। बाग से बाहर […]
दूसरे दिन यह बात अच्छी तरह से मशहूर हो गई कि वह बाबाजी जिन्हें देख करनसिंह राठू डर गया था, बीरसिंह के बाप करनसिंह थे। उन्हीं की जुबानी मालूम हुआ कि जिस समय राठू ने सुजनसिंह की मार्फत करनसिंह को जहर दिलवाया उस समय करनसिंह के साथियों को राठू ने मिला लिया था। मगर- चार-पाँच […]
चंद्रकांता संतति भाग-7 बयान 1 के लिए क्लिक करें हम ऊपर लिख आए हैं कि राजा वीरेन्द्रसिंह तिलिस्मी खंडहर से (जिसमें दोनों कुमार और तारासिंह इत्यादि गिरफ्तार हो गए थे) निकलकर रोहतासगढ़ की तरफ रवाना हुए तो तेजसिंह उनसे कुछ कह-सुनकर अलग हो गए और उनके साथ रोहतासगढ़ न गए। अब हम यह लिखना मुनासिब […]
हरिपुर के राजा करनसिंह राठू का बाग बड़ी तैयारी से सजाया गया, रोशनी के सबब दिन की तरह उजाला हो रहा था, बाग की हर एक रविश पर रोशनी की गई थी, बाहर की रोशनी का इन्तजाम भी बहुत अच्छा था। बाग के फाटक से लेकर किले तक जो एक कोस के लगभग होगा, सड़क […]
रात पहर-भर जा चुकी है। खड़गसिंह अपने मकान में बैठे इस बात पर विचार कर रहे हैं कि कल दरबार में क्या-क्या किया जाएगा। यहाँ के दस-बीस सरदारों के अतिरिक्त खड़गसिंह के पास ही नाहरसिंह, बीरसिंह और बाबू साहब भी बैठे हैं। खड़गसिंह : बस यही राय ठीक है। दरबार में अगर राजा के आदमियों […]
खड़गसिंह जब राजा करनसिंह के दीवानखाने में गये और राजा से बातचीत करके बीरसिंह को छोड़ा लाये तो उसी समय अर्थात जब खड़गसिंह दीवानखाने से रवाने हुए, तभी राजा के मुसाहबों में सरूपसिंह चुपचाप खड़गसिंह के पीछे-पीछे रवाना हुआ वहाँ तक आया, जहाँ सड़क पर खड़गसिंह और नाहरसिंह में मुलाकात हुई थी और खड़गसिंह ने […]
हम ऊपर लिख आये हैं कि जमींदारों और सरदारों को कमेटी में से अपने तीनों साथियों और नाहरसिंह को साथ ले बीरसिंह की खोज में खड़गसिंह बाहर निकले और थोड़ी दूर जाकर उन्होंने जमीन पर पड़ी हुई एक लाश देखी। लालटेन की रोशनी में चेहरा देख कर उन लोगों ने पहिचाना कि यह राजा का […]
अब हम थोड़ा-सा हाल तारा का लिखते हैं, जिसे इस उपन्यास के पहले ही बयान में छोड़ आये हैं। तारा बिल्कुल ही बेबस हो चुकी थी, उसे अपनी जिन्दगी की कुछ भी उम्मीद न रही थी। उसका बाप सुजनसिंह उसकी छाती पर बैठा जान लेने को तैयार था और तारा भी यह सुनकर कि उसका […]
हरिपुर गढ़ी के अन्दर राजा करनसिंह अपने दीवानखाने में दो मुसाहबों के साथ बैठा कुछ बातें कर रहा है। सामने हाथ जोड़े हुए दो जासूस भी खड़े महाराज के चेहरे की तरफ देख रहे हैं। उन दोनों मुसाहबों में से एक का नाम शंभूदत और दूसरे का नाम सरूपसिंह है। राजा : रामदास के गायब […]