क्राइम फिक्शन और उसकी शाखाएं
1. कोज़ी क्राइम ( Cosy Crime) – क्राइम फिक्शन जेनर की यह शाखा बहुत ही प्रसिद्द है। अमूमन एक छोटे से शहर में इसकी कहानी को प्लाट किया जाता है जहाँ एक हत्या के केस को हल करने के लिए पुलिस या प्राइवेट डिटेक्टिव काम करते हुए नज़र आते हैं। इसमें जुर्म का कोई ग्राफ़िक वर्णन नहीं किया जाता है। जब केस सोल्वे हो जाता है तो सब कुछ आम जनजीवन जैसा ही हो जाता है क्यूंकि अपराधी पकड़ा जा चूका है। सुधीर सीरीज और थ्रिलर सीरीज के कई उपन्यास इस श्रेणी में आते हैं।
2. लॉक्ड रूम मर्डर मिस्ट्री – क्राइम फिक्शन जेनर की इस शाखा में जुर्म एक असंभव से माहौल में किया जाता है जहाँ लेखक अपनी बुद्धिमता से रीडर के लिए एक जाल तैयार करता है। इसमें कानून का चैलेंज, कोई गवाह नहीं, मीना मर्डर केस, काला कारनामा आदि उपन्यास आते हैं।
3. हार्ड बॉयल्ड – यह शाखा कोज़ी क्राइम से बिलकुल ही उलट है। क्यूंकि इसमें जुर्म का खाका खींचा जाता है जो खतरनाक और खून-खराबे से भरा होता है। ऐसी कहानियों में मानसिक रूप से बीमार अपराधी और सीरियल किलर्स को दिखाया जाता है। ऐसी कहानियों में अपराधी के अपराध करने की कोई सीमा नहीं होती। विमल सीरीज के अधिकतर उपन्यास इस श्रेणी में आते हैं।
4. प्राइवेट डिटेक्टिव – इस श्रेणी की सभी कहानियां प्राइवेट डिटेक्टिव के काम पर आधारित होती है और इसमें पुलिस का दखल नाम-मात्र होता है। प्राइवेट डिटेक्टिव असली अपराधी को खोजकर अपराध का अंत करता है।
5. कोर्ट-रूम ड्रामा – इस शाखा में अपराध पर आधारित पूरा केस कोर्ट रूम में पेश में किया जाता है। पुरे केस की डिटेल्स कोर्ट की प्रोसीजर के दौरान रीडर के सामने खुल कर आती है। ऐसी कहानियों में फ़्लैश-बेक तकनीक का इस्तेमाल कहानी को कहने के लिए किया जाता है। वहशी उपन्यास का आधा हिस्सा कोर्ट-रूम ड्रामा है।
6. लीगल थ्रिलर – यह कोर्ट-रूम ड्रामा की तरह ही होते हैं लेकिन इसमें पूरी कहानी कोर्ट रूम में पेश नहीं की जाती। इसमें वकील या उसकी लीगल टीम के काम को भी दिखाया जाता है कि कैसे उसने कोर्ट में पेश करने के लिए तथ्यों को इकठ्ठा किया है। वहशी का आधा हिस्सा लीगल ड्रामा ही है।
7. स्पाई – इस शाखा के केंद्र में एक जासूस या स्पाई होता है जो किसी देश की सरकारी एजेंसी के लिए काम करता है। सुनील सीरीज के स्पाई सीरीज के उपन्यास इसी श्रेणी में आते हैं।
8. केपर – ये ऐसी कहानीयां होती हैं जो अपराधी के नज़रिए से कही या गढ़ी जाती है। इसमें यह दिखाया जाता है कि कैसे अपराधी अपने आपको पुलिस के चंगुल में आने से बचाता है। यह सामान्य क्राइम फिक्शन बहुत अलग होता है।
9. पुलिस प्रोसीज़रल – इस शाखा में पुलिस के काम करने के तौर-तरीकों पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। इसमें पुलिस के द्वारा किया जाने वाली तहकीकात, अपराधियों एवं साक्षियों से लिया गया साक्षात्कार या फॉरेंसिक तकनीक के बारे में विस्तृत रूप से लिखा जाता है। ऐसे कहानियों के मुख्य किरदार अमूमन पुलिस वाले होते हैं।
10. Tartan नोयर – ऐसी कहानियां हार्ड-बॉयल्ड होती हैं जिनमे खून-खराबा बहुत होता है। इस कहानी का मुख्य किरदार अपराधी या एंटी-हीरो होता है जो किसी व्यक्तिगत कारणों से अपराध की दुनिया में घुस जाता है।
11. मेडिकल थ्रिलर – आधुनिक मेडिकल टेक्नोलॉजी जितना इंसान के लिए लाभदायक है उतना ही हानिकारक भी है। ये अमूमन सस्पेंस नावेल होते हैं जिनका अधिकतर घटना क्रम एक हॉस्पिटल या मेडिकल कॉलेज के इर्द-गिर्द होता है। इसके मुख्य किरदार डॉक्टर या नर्स होते हैं। ऐसी कहानियों का प्लाट अमूमन दवाइयों या दवाइयों से सम्बंधित खोज पर आधारित होता है।
12. फॉरेंसिक थ्रिलर – यह क्राइम फिक्शन शाखा की एक नयी विधा है। इस श्रेणी के उपन्यासों का मुख्या किरदार या तो वैज्ञानिक या फॉरेंसिक साइंस का जानकार होता है। अधिकतर घटनाएं क्राइम सीन, मोर्गे या किसी घर पर घटित होती है।
13. सामान्य सस्पेंस थ्रिलर- इस शाखा में मुख्य किरदार एक आम इंसान होता है जो अपराध में किसी कारण फंस जाता है। लेकिन अपने ऊपर से अपराध के धब्बे को हटाने के लिए वह अपराध के तह तक जाकर केस को हल करता है और अपने आपको बेगुनाह साबित करता है। ऐसे उपन्यासों में पुलिस या पुलिस प्रोसीजर का बहुत दखल होता है।
14. मिलिट्री थ्रिलर – ऐसे थ्रिलर उपन्यासों में अधिकतर किरदार मिलिट्री या उससे मिलते जुलते संस्था से सम्बंधित होते हैं। ऐसे उपन्यासों में लेखक को रिसर्च वर्क पर अधिक ध्यान देना होता है ताकि पढने वाले को परफेक्ट मटेरियल दे सकें। ऐसे उपन्यासों के अपराधी अमूमन आतंकवादी या गद्दार एवं भ्रष्टाचारी नेता होते हैं। ऐसे उपन्यास की कहानी कई देशों एवं कई महाद्वीपों को लांघ देती है।
15. साइबर-क्राइम – यह क्राइम-फिक्शन जगत में यह एक नयी श्रेणी का उदय है। इस श्रेणी के उपन्यास में जासूस, प्रोग्रामर और हैकर का दखल होता है। इसमें अमूमन इन्टरनेट का बहुत इस्तेमाल दिखाया जाता है। ऐसे उपन्यासों में क्राइम करने के लिए जहाँ इन्टरनेट का इस्तेमाल होता है वहीँ उसको हल करने के लिए भी इन्टरनेट का इस्तेमाल होता है। अभी तक किसी ने भी इस श्रेणी में अपने आप को लेखक के रूप में स्थापित नहीं किया है।
16. हु डन इट – यह डिटेक्टिव फिक्शन का ही एक हिस्सा है। ऐसी कहानियों में डिटेक्टिव कई सूत्रों एवं तथ्यों के जरिये अपराधी को खोज निकालता है।
17. हाउ कैच देम – इस श्रेणी में रीडर को पहले ही अपराधी से रूबरू करा दिया जाता है और आगे की कहानियों में पुलिस द्वारा उसे पकड़ने की जद्दोजहद का चित्रण किया जाता है। पाठक साहब के कई थ्रिल्लरस इस श्रेणी में आते हैं।
18. हाउ डन इट – इस श्रेणी के उपन्यास में लॉक्ड रूम मर्डर मिस्ट्री भी आते हैं। असंभव से वातावरण में कुछ कर गुजरना ही इस श्रेणी के नाम को दर्शाता है। यह श्रेणी सिर्फ मर्डर मिस्ट्री तक ही नहीं सिमित रहती बल्कि इसकी संभावनाएं अनंत हैं।
19. हिस्टोरिकल फिक्शन – इस श्रेणी की कहानियों में कहानी का ताना-बाना इतिहास के किसी घटना के इर्द गिर्द बुना जाता है। इसमें लेखक अपने किरदारों को समय से कई सौ वर्षों पहले ले जाकर अपनी कहानी कहता है।