फिंगरप्रिंट 2.0
फिंगरप्रिंट्स के ऊपर काफी कुछ लिखा जा चूका है और काफी जानकारियां पाठकों के पास भी हैं। इन्टरनेट के इस दौर में किसी भी जानकारी को पा लेना बहुत आसान हो गया है लेकिन एक जगह इकट्ठी जानकारी मिल पाना मुश्किल होता है। फिंगरप्रिंट का इतिहास, वह कैसे काम करता है, किस तरह से फिंगरप्रिंट मौकायेवारदात से लिए जाते हैं, किस तरह से उन्हें एग्जामिन किया जाते हैं, किस तरह से उन्हें स्टोर किया जाता है, ये बाते आसानी से हमें पता चल जाती है और इस सम्बन्ध में इस फोरम पर भी लेख मौजूद है। जीवित इंसान का फिंगरप्रिंट लेने का सामान्य तरीका आपने देखा होगा – ब्लू या ब्लैक स्टाम्प पेड पर उँगलियों को चिपाकते जाना है – फिर उन्हीं उँगलियों को पेपर पर छापते जाना है। हालाँकि फॉरेंसिक तौर पर यह तरीका उतना सही नहीं है लेकिन फिर भी आज भी भारत के कई पुलिस स्टेशन में यही तरीका अपनाया जाता है जबकि फॉरेंसिक साइंस में जीवित व्यक्ति का फिंगर प्रिंट लेने का अलग तरीका है।
जीवित व्यक्ति का फिंगरप्रिंट लेना तो आसान कार्य है, लेकिन क्या मृत व्यक्ति का भी फिंगर प्रिंट लेना इतना ही आसान होता है? शायद नहीं, क्यूंकि किसी मृत शरीर से फिंगरप्रिंट उठाने का तरीका इस बात पर निर्भर करता है कि लाश किस स्थिति में मिली है और उसकी मृत्यु को कितना समय हुआ है। एक उदाहरण से समझें – कई कंपनियों में अटेंडेंस को रिकॉर्ड करने के लिए कम्पनीज फिंगरप्रिंट पर आधारित मशीन लगाती हैं। सर्दियों के समय में, कई कर्मचारियों को यह समस्या पेश आती है कि फिंगरप्रिंट मशीन उसके फिंगरप्रिंट को रिकॉर्ड ही नहीं कर पाता है क्यूंकि इस समय उँगलियों में ड्राईनेश आ जाती है उँगलियों के प्रिंट प्रॉपरली उभर कर नहीं आ पाते हैं। यही समस्या आधार बेसिस बायोमेट्रिक के दौरान भी आती है। इस समस्या के कई प्रकार के हल हैं, लेकिन सबसे आसान हल है कि अपनी उँगलियों के ड्राईनेस को खत्म करें, जिसके लिए कोई भी मोइस्चेराइजर क्रीम मार्किट से खरीद कर उँगलियों पर घंटे-घंटे में लगा सकते हैं। जब ऐसी समस्या जीवित प्राणियों में आ सकती है तो मृत व्यक्ति से फिंगर प्रिंट लेना क्या आसान काम होता होगा।
इन्वेस्टिगेटर्स मृत व्यक्तियों के उँगलियों से, मूलतः इन चार फिंगर प्रिंट्स टूल्स का इस्तेमाल कर प्रिंट ले पाते हैं :-
- फिंगरप्रिंट स्ट्रैटनर – जब लाश की उँगलियाँ मुट्ठी के रूप में हों और अँगुलियों के जॉइंट्स आसानी से नहीं खुल रहे हों तो इन्वेस्टिगेटर इस टूल का इस्तेमाल कर उन उँगलियों को सीधा करते हैं ताकि प्रिंट्स ले सकें। यह खासकर रिगोर मोर्टिस के केस में इस्तेमाल किया जाता है। रिगोर मोर्टिस मूलतः वह अवस्था है जब किसी व्यक्ति के लाश में बदलने में ८-१० घंटे (यह समय वैरी भी कर सकता है और इसके लिए जिम्मेदार तापमान और स्थान के वातावरण पर निर्भर करता है) बीत चुके हैं और बॉडी में अकड़न आ चुकी हो।
- होरीजोंटल इंक रोलर्स – इन्वेस्टिगेटर इस इंक रोलर को मृत व्यक्तियों के उँगलियों पर घुमाते हैं जिससे कि उनके उँगलियों पर इंक चढ़ जाता है फिर उस हाथ या ऊँगली का प्रिंट कागज़ पर उतार लिया जाता है। यह बहुत ही आसान तरीका है फिंगरप्रिंट लेने का।
- फिंगरप्रिंट्स स्पून और फिंगरप्रिंट कार्ड स्ट्रिप्स – इन्वेस्टिगेटर इन दोनों ही टूल का इस्तेमाल करके किसी भी मृत व्यक्ति का एक बेहतर फिंगरप्रिंट ले सकते हैं। इन दोनों टूल्स को मृत व्यक्ति के ऊँगली के टिप या रिज का प्रिंट लेते हैं। स्ट्रिप को स्पून में लगाया जाता है फिर मृत व्यक्ति के ऊँगली को बारी-बारी से स्ट्रिप के ऊपर रखकर दबाव डालकर ऊँगली के छाप ले लिया जाता है।
अभी ऊपर हमने इस बात पर चर्चा की कि किन टूल्स का इस्तेमाल करके मृत व्यक्तियों का फिंगर प्रिंट लिया जाता है। अब हम यह जानेंगे कि मृत्यु के पश्चात किन परिस्थितियों में प्रिंट लिया जाता है :-
- पहली स्थिति वह है जिसमें पुलिस या फॉरेंसिक टीम मौकायेवारदत पर मृत्यु के कुछ समय बाद ही पहुँच जाती हो अर्थात रिगोर मोर्टिस से पहले। इस स्थित में फिंगरप्रिंट या फॉरेंसिक एक्सपर्ट मृतक के उँगलियों के टिप को किसी अल्कोहल या लिक्विड सोप से साफ़ करेगा फिर उसके बाद इंक-पैड या इंक रोलर के जरिये अपने पास फिंगरप्रिंट रिकॉर्डर शीट या पेपर पर फिंगरप्रिंट रिकॉर्ड कर लेगा जैसा कि जीवित व्यक्ति का करता है।
- दूसरी स्थिति तब की है जब मृतक का शरीर रिगोर मोर्टिस की अवस्था में पहुँच चुका होता है। इस स्थिति में मृतक के हाथ को गर्म पानी में १०-१५ मिनट के लिए रखा जाता है ताकि हाथ की अकड़न खत्म हो जाए। फिर उसे अच्छी तरह सुखाया जाता है ताकि मोइस्चर न रहे। फिर फिंगर प्रिंट रोलर या पैड के जरिये उसकी ऊँगली को रंगा जाता है और उसके बाद फिंगर प्रिंट स्पून और स्ट्रिप के जरिये प्रिंट को रिकॉर्ड कर लिया जाता है।
- इससे आगे कि स्थित तब होती है जब मृतक का शरीर गलने की अवस्था में चला जाता है या अगर मृतक शरीर काफी समय तक पानी में रहा हो तो उसकी उँगलियाँ गलने लगती है, सिकुरने लगती है तो ऐसे में फिंगरप्रिंट लेने के लिए मृतक के उँगलियों पर केमिकल का इस्तेमाल कर उसे ऐसी अवस्था में लाया जाता है ताकि प्रिंट रिकॉर्ड किया जा सके। अगर उँगलियाँ पूरी तरह से सूखी हुई हो तो उँगलियों को पोटेसियम हयड्राऑक्साइड या सोडियम हयड्राऑक्साइड में डुबोया जाता है ताकि उँगलियों के टिश्यू ऐसी स्थिति तक फूल जाएँ कि प्रिंट रिकॉर्ड किया जा सके। अगर उँगलियाँ गीली हों, नमी प्राप्त हो तब सबसे पहले उँगलियों पर आइसोप्रोपाइल अल्कोहल लगाया जाता है फिर सूखे कपड़े से रगड़ कर उसे अच्छी तरह से उसे सुखाया जाता है या हेयर ड्रायर से कम तापमान पर उँगलियों को सुखाया जाता है। इसमें आजकल एक और तरीका इस्तेमाल किया जाता है जिसमें ब्यूटेन गैस के लौ को ऊपर ऊँगली को कई बार घुमाया जाता है जिससे उँगलियों के अन्दर की नमी खत्म हो जाती है। उसके ऊपर दिए गए किसी भी टूल के जरिये प्रिंट रिकॉर्ड कर लिया जाता है।
- अधिकाधिक नमी के कारण अगर उँगलियों की त्वचा बिल्कुल ही खराब हो जाती है तो फॉरेंसिक एक्सपर्ट उँगलियों में टिश्यू बिल्डर इंजेक्शन लगाते हैं जिससे के अन्दर ही अन्दर टिश्यू बनना शुरू होता है और सिकुड़ा और न पहचाना जाने वाला फिंगर टिप उभर कर बाहर आ जाता है जिससे फिंगरप्रिंट रिकॉर्ड कर लिया जाता है। यह मूलतः उन केसेस में होता है जिसमें मृतक का शरीर काफी समय तक पानी के अन्दर रहा हो। ऐसे केसेस में मृतक के उँगलियों के उपरी परत को आसानी उतार लिया जाता है फिर टिश्यू बिल्डर सलूशन में उसको डुबोया जाता है। कुछ समय बाद उस सलूशन में से स्किन को बाहर निकालकर सुखाया जाता है फिर फॉरेंसिक एक्सपर्ट उस स्किन को अपने ग्लव्स पर रखकर फिंगरप्रिंट स्पून और स्ट्रिप के जरिये प्रिंट रिकॉर्ड कर लेते हैं।
- इसके अलावा कास्टिंग टेक्निक का भी इस्तेमाल किया जाता है। इस टेक्निक के इस्तेमाल के लिए एकुट्रांस नामक टूल का इस्तेमाल किया जाता है और इसके लिए पहले फिंगर को री-हाइड्रेट करते हैं फिर कास्टिंग के जरिये प्रिंट को रिकॉर्ड कर लिया जाता है।
हालांकि अपराध कथाओं में अमूमन सामान्य तरीका ही इस्तेमाल किया जाता हुआ दिखाया जाता है लेकिन कई ऐसे काम्प्लेक्स अपराध कथाओं में ऊपर दिए गए तकनीकों का इस्तेमाल भी किया जाता है। वहीँ फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स को भी अपवाद स्वरुप में उपरोक्त में दिए गए काम्प्लेक्स तरीके इस्तेमाल करने पड़ते हैं वरना तो सामान्य तरीके से ही काम चल जाता है।
फिंगरप्रिंट 1.0
August 12, 2020 @ 12:38 pm
अगर कोई आदमी किसी जीवित आदमी का गला दबाता है और वो मरता नहीं है किसी प्रकार अपराधी से अपना गला छुड़ा लेता है , तो उस अपराधी के फिंगर प्रिंट कब तक उसके गले पर रहते है