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प्रतिघात

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अंकुर रोहिल्ला बेहद दौलतमंद, लेकिन हद दर्जे का अय्याश था, जिसकी नीयत अपने ही किरायेदार की बेटी पर खराब थीं। फिर एक रात मानो जलजला आ गया। वह मासूम लड़की लापता हो गई। क्या लड़की का बाप, क्या पड़ोसी, सबको जैसे यकीन था कि उसकी गुमशुदगी के पीछे अंकुर के कुत्सित इरादों का हाथ है। पर, क्या इसे साबित करना इतना आसान था?
क्या लड़की सचमुच अंकुर की वासना की भेंट चढ़ गई या फिर किसी अकल्पनीय साजिश का शिकार हो गई? ऐसे में केस में इंट्री होती है द अनप्रिडिक्टेबल मैन पनौती की, जिसके साथ पान में लौंग-सी फिट है- हरदिल अजीज अवनी।
इस अनोखी जुगलबंदी ने क्या गुल खिलाये? लापता लड़की का क्या हुआ? क्या सचमुच अंकुर रोहिल्ला गुनहगार है?
घात-प्रतिघात से लबरेज, तेजरफ्तार, पनौतीपन लिए संतोष पाठक का विशिष्ट शाहकार प्रतिघात
साहित्य विमर्श की गौरवशाली पेशकश

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