What an Idea! एक आईडिया जो आपकी दुनिया बदल सकता है
उपरोक्त टैगलाइन एक प्रसिद्ध टेलीकम्यूनिकेशन सर्विस प्रोवाइडर कंपनी द्वारा बहुत वर्षों तक इस ब्रांड को प्रमोट करने के लिए इस्तेमाल किया गया था । यह लाइन सच में ही अपने आप में एक प्रोत्साहन से भरी हुई है। एक आईडिया – ग्राहम बेल का – टेलीफोन के रूप में आया – जिसने दुनिया बदल कर रख दी, एक आईडिया – थॉमस एडिसन का – बल्ब के आविष्कार के रूप में आया – जिसने सच में दुनिया को बदल कर रख दिया; ऐसे कई उदाहरण हैं, जो सिर्फ और सिर्फ एक विचार – एक आईडिया के जरिये दुनिया के सामने आये।
काल्पनिक कहानियों (फिक्शन स्टोरीज) की दुनिया में कहानियों का उदय भी एक ‘आईडिया’ के जरिये होता है। आगे जाकर यह ‘आईडिया’ एक कहानी का रूप लेकर पाठकों के सामने आता है। ये आइडियाज कहीं भी, कभी भी, किसी भी अवस्था में एक इंसान के दिमाग में क्लिक कर सकते हैं। अमूमन ऐसे आइडियाज किसी किताब को पढ़ते वक़्त, किसी घटना को देखते या सुनते वक़्त या चर्चाओं के दौरान निकल कर आते हैं वहीं कुछ आइडियाज विषय-वस्तु को निर्धारित करके सामने आते हैं। कुछ लेखक इन आइडियाज को संग्रहित करके रखते हैं; तो कुछ समय आने पर आइडियाज की तलाश करते हैं। पर एक इंसान, जिसने ‘काल्पनिक कहानियों’ की रचना कभी की ही न हो, उसके लिए अचानक क्लिक हुए आइडियाज ही काम आते हैं।
लेखन जगत में ‘आईडिया’ का इतना बड़ा महत्व है कि इसे चुराया भी जाता है, प्रेरणा रूप में भी लिया जाता है, उधार भी लिया जाता है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि – सिर्फ एक ‘आईडिया’ के आधार पर – लेखक कहानी को विकसित कर लें। एक ‘आईडिया’ का होना ही काफी नहीं होता बल्कि उसके साथ-साथ लेखक की कल्पनाशीलता का भी होना बहुत जरूरी है ताकि वह उस आईडिया के आधार पर कहानी को विकसित कर सके। लेकिन क्या यह इतनी आसानी से संभव हो पाता है। आपके सामने कई बार ऐसी स्थितियां आई होंगी जब किसी ने कहा होगा कि उसके पास एक आईडिया है जिसे वह कहानी में तब्दील करना चाहता है – पर भविष्य में जब आप उससे मिलते हैं – उससे उस आईडिया के जरिये लिखी जाने वाली कहानी के बारे में पूछते हैं तो जवाब सिफ़र ही होता है।
चलिए मान लेते हैं कि आपके पास एक ‘आईडिया’ है जिसे आप कहानी के रूप में विकसित करना चाहते हैं। तो आप किस तरह से शुरुआत करेंगे? सबसे पहले तो आपको यह सोचना है, निश्चित करना है कि आप कहानी लिख रहे हैं। फिर एक सवाल खुद से करिए कि क्या इस आईडिया से जो कहानी तैयार होगी, वह पाठक को हज़ार या उससे अधिक शब्दों तक बांधे रख सकेगी? क्या इस कहानी में आरम्भ, मध्य भाग एवं अंत है? क्या यह कहानी मजेदार है? लेकिन आप यह सब करेंगे कैसे? इसके लिए आपको अपनी कहानी का एक ख़ाका, एक प्रारूप, एक रूपरेखा तैयार करनी होगी । यह ख़ाका या प्रारूप आप अपने दिमाग में बना सकते हैं या पेपर पर, लेकिन यह प्रारूप न तो सामान्य होना चाहिए और न ही बहुत ज्यादा विस्तृत। जैसा कि जिन्दगी के हर पहलू में होता है, सुदृढ़ एवं अच्छी योजनाओं के जरिये ही अच्छे और बेहतर परिणाम आते हैं ,इसलिए कुछ समय निकाल कर अपनी कहानी के प्रारूप को बेहतर रूप देने की कोशिश करनी चाहिए।
कैसे आप अपनी कहानी के लिए एक प्रारूप तैयार करेंगे, कैसे उसका ख़ाका खींचेंगे, आप क्या सोचेंगे इस क्रिया के दौरान? सबसे पहले तो यह निर्णय लीजिये कि कहानी को शुरू कैसे करेंगे। कहानी को शुरू करने के लिए आपको किरदार एवं घटनाएं चाहिए। इसलिए आप निर्णय लीजिये कि, आपकी कहानी में कौन-कौन सी घटनाएं घटेंगी। घटनाएं, हाँ, घटनाएं, हमेशा से एक कहानी का महत्वपूर्ण अंग रही हैं। घटनाएं किरदार से जुड़ी होती हैं इसलिए काल्पनिक कहानियां एक रेस की तरह हैं , जिसमे किरदार कहानी के आरम्भ में आता है और बढ़ता हुआ अंत तक पहुँचता है। अगर आपकी कहानी का किरदार भावनात्मक एवं शारीरिक रूप से कहानी में नहीं चलता, नहीं बढ़ता तो आपके द्वारा लिखी गयी कहानी एक प्रकरण के अलावा कुछ नहीं है। दूसरी तरफ, अगर आपका किरदार कई स्थानों पर घूमता हुआ नज़र आता है तो आप एक यात्रा वृतांत लिख रहे हैं या आपका अपनी कहानी के ऊपर फोकस नहीं है। याद रखिये फिक्शन मनोरंजन प्रदान करता है इसलिये घटनाएं एवं प्रस्तुतीकरण इस प्रकार का होना चाहिए जिससे पाठक का मनोरंजन हो सके। अगर आप अपनी कहानी में एक सन्देश भी प्रेषित कर रहे हैं तो उसका अंदाज मजेदार होना चाहिए।
ऊपर जैसा बताया गया है कि घटनाएं हमेशा किरदारों के माध्यम से बनती हैं तो इसका अर्थ यह हुआ कि आपको अपनी कहानी के लिए ऐसे किरदारों को गढ़ना होगा, ऐसे यथार्थवादी किरदारों को रचना होगा जिसके साथ पाठक खुद को जोड़ सके। आपकी कहानी में कम से कम एक ऐसा किरदार तो होना ही चाहिए जो आरम्भ से लेकर अंत तक रहे, जिसका कहानी में मौजूद, कई घटनाओं में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से दखल हो। यह किरदार आपकी कहानी का नायक/नायिका होगा/होगी जिसके साथ घटी घटनाओं के अनुसार पाठक अंत तक पहुंचेगा। अब इस ‘यथार्थवादी’ किरदारों को कैसे रचा जाए? इसके लिए भी आपको प्लानिंग करनी पड़ेगी । आपको कहानी के सभी किरदारों के बारे में इतनी जानकारी होनी चाहिए कि वह किसी घटना के परिणाम में किस प्रकार से प्रतिक्रिया करेगा। उसके हाव, भाव, चाल-चलन, उठना-बैठना एवं व्यक्तिगत ढाँचे को तैयार करना पड़ेगा। इसके लिए सबसे आसान तरीका यह है कि स्वयं को उसके स्थान पर रखकर घटना के सापेक्ष में आंकलन करें जिससे पाठकों को वह किरदार यथार्थवादी लगे। आप अपने स्थान पर, अपने जीवन में मिले हुए कई इंसानों को भी उस स्थान पर रखकर देख सकते हैं, उदहारण स्वरुप –आपके दोस्त, आपके माता-पिता, आपके ऑफिस के साथी। जैसे, अगर आपकी कहानी में कोई किरदार ‘ड्राईवर’ है तो आप अपने जीवन में जितने भी ड्राईवर से मिले हों उनको याद करके यह किरदार गढ़ सकते हैं। इसी तरह से आपको हर किरदार के लिए ‘चरित्र चित्रण’ का निर्माण करना होगा। अगर आप कहानी लिखना शुरू करने से पहले अपने प्रारूप में हर किरदार का चरित्र चित्रण कर लेते हैं तो आगे कभी आपके किरदार के व्यक्तिगत ढाँचे में कोई लूप-होल नहीं बन पाता है।
किरदारों के चित्रण में इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि आप किस समयकाल में अपनी कहानी को लिख रहे हैं। अगर वर्तमान में लिख रहे हैं तो उसी प्रकार का चित्रण एवं सोच को स्थापित करना होगा वहीं अगर वर्तमान से २० वर्ष पूर्व लिख रहे हैं तो उस समय का चित्रण आवश्यक है। कहने का मतलब यह है कि जिस भी समयकाल में आप अपनी कहानी को गढ़ रहे हैं उस समयकाल के अनुसार ही किरदारों का चित्रण करें।
कहानी की रचना के दौरान समयकाल के साथ-साथ, जब किरदारों एवं घटनाओं को उकेरा जाए तब इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि वह कहानी किस ‘भौगौलिक क्षेत्र’ से सम्बंधित है। अर्थात आपके द्वारा लिखी जा रही कहानी ‘दिल्ली’ में केन्द्रित है या ‘गोवा’ में – क्यूंकि किरदार के चित्रण एवं घटनाओं को लिखने के दौरान – भौगौलिक क्षेत्रों का बहुत अधिक महत्व होता है।
एक ‘आईडिया’ को ‘कहानी’ के रूप में लिखने के लिए हमने बहुत सी बातों को ऊपर जाना, लेकिन अब क्या? अब आता है – ‘जेनर’ अर्थात कहानी – फिक्शन में किस प्रकार की है – प्रेम कथा (रोमांस), रहस्य-कथा (मिस्ट्री), कपोल–कल्पित–कथा (फेंटेसी), अपराध-कथा (क्राइम फिक्शन) आदि। अगर आप किसी विशेष प्रकार के जेनर की किताबें पढ़ते हैं तो अमूमन आप उसी जेनर में ही कहानी लिखने की सोचेंगे या कोशिश करेंगे और आपको ऐसा करना भी चाहिए क्योंकि आप इस जेनर को पढ़ने के दौरान ही उसके गठन की कई मूलभूत बातों के बारे में जान लेते हैं जो आगे चलकर लेखन में आपकी महती सहायता भी करती है। लेकिन यह कोई जरूरी नहीं कि आप अपनी कहानी को किसी ख़ास जेनर में फिक्स करें; जैसे,अगर आपका आईडिया किसी रहस्य को सुलझाने से सम्बंधित है तो आप उसे रहस्यकथा जेनर में लिख सकते हैं; वहीं अगर आपकी कहानी कुछ ऐसी है जिसकी घटनाएं हमारी दुनिया में घटती नहीं है तो आप उसे फेंटेसी जेनर में लिख सकते हैं लेकिन इस बात का ध्यान जरूर रखें कि जिस जेनर में आपकी कहानी है, उस पर ज्यादा जोर होना चाहिए। यह नहीं कि लिख आप मर्डर-मिस्ट्री रहे हैं और आपने अपनी कहानी में रोमांस को इतना ज्यादा महत्व दे दिया कि पाठक ने किताब ख़त्म करने के बाद कहा कि यह कोई मर्डर-मिस्ट्री कहानी नहीं बल्कि रोमांटिक कहानी थी।
आपके ‘आईडिया’ को ‘कहानी’ का रूप देने में जो अंतिम पड़ाव आता है – वह है – कहानी की लम्बाई। हालांकि यह एक ऐसी चीज है जो पहले निश्चित नहीं की जा सकती है लेकिन फिर भी जब पहली बार आप आईडिया से एक कहानी के लिए एक ख़ाका खींचते हैं तब आपको ध्यान देना पड़ेगा कि आरम्भ से अंत के बीच में कितनी घटनाएं हैं। क्या सभी घटनाएं, कहानी, कहानी के किरदार और कहानी के आरम्भ एवं अंत के लिए आवश्यक हैं? अगर घटनाएं अधिक हैं और वह जरूरी भी हैं तो आप ‘नोवेला’ (एक कहानी जो २०००० से ५०००० शब्द के बीच होती है) या नावेल (५०००० शब्दों से अधिक की कहानी) भी लिख सकते हैं। लेकिन अगर कहानी की सामग्री ‘लघु कथा’ के लिए काफी है तो उसमे गैरजरूरी घटनाएं डाल कर, उसे नावेल बनाने की कोशिश न करें। दूध से दही तक ठीक है, दही से लस्सी तक भी ठीक है लेकिन लस्सी को मथकर मट्ठा बनाने की कोशिश कभी-कभी भारी भी पड़ सकती है। वैसे भी पाठक हमेशा दिल्ली सीधे पहुंचना चाहते हैं न की वाया सहारनपुर। अर्थात पाठक के साथ एक्स्ट्रा घटनाएं डालकर उसे छलने की कोशिश करना बेकार है क्योंकि जब वह दूसरे पाठकों के सामने अपने विचार रखेगा तो निःसंदेह इस बिंदु को जरूर पॉइंट–आउट करेगा जिसका नतीज़ा यह होगा कि कहाँ आप सकारात्मक माउथ–पब्लिसिटी की आशा कर रहे थे और कहाँ आपको नकारात्मक माउथ–पब्लिसिटी का सामना करना पड़ रहा है जिससे न केवल आपकी कहानी की पठनीयता तथा पाठक संख्या पर फ़र्क पड़ेगा, बल्कि बिक्री पर भी जरूर खतरा मंडराएगा।
अब आपके पास कहानी का कथानक (प्लाट) हैI जी हाँ, जब आपने अपने आईडिया को ख़ाका के रूप में रूपांतरित किया था तभी कथानक तैयार हो गया थाI आपके पास किरदार हैं, आपके पास घटनाओं को घटित करने के लिए पृष्ठभूमि है, आपके पास जेनर है तो अब क्या? तो अपने हाथों में पेन-पेंसिल उठाइये और पेपर लेकर तैयार हो जाइए या लैपटॉप-डेस्कटॉप के की बोर्ड को खटखटाना शुरू कर दीजिये – क्योंकि अब आप तैयार हैं – लिखने के लिए। एक कुछ रोचक, रोमांचक तथा विशेष कुछ रचने के लिएI