May 1, 2017 लफ़्ज़ों से बनते किस्से साहित्य विमर्श लफ़्ज़ों से बनते किस्से 0 “उस उमस एवं गर्मी से भरी मई के महीने में, शाम ५ बजे, सुब्रोजित बासु उर्फ़ मिकी, तीसरे क़त्ल की तैयारी कर रहा था| क़त्ल करते रहना कितना ख़तरनाक हो सकता था, उसे इस बात का पूरी तरह से एहसास था|” प्रतियोगिता के नियम