Skip to content
Menu
साहित्य विमर्श
उत्कृष्ट साहित्य के प्रसार के लिए समर्पित
Search
मुख्य पृष्ठ
विविध साहित्यिक विधाएँ
उपन्यास
कहानियाँ
प्रेमचंद कालीन कहानियाँ
प्रेमचंदोत्तर कथा साहित्य
स्वातंत्र्योत्तर कहानी
हास्य व्यंग्य
काव्य संसार
नाटक/एकांकी
समकालीन लेखन
विमर्श
बाल जगत
बाल कथाएँ
बाल कविताएँ
नन्ही कलम
बुक स्टोर
Close Menu
लफ़्ज़ों से बनते किस्से
साहित्य विमर्श
May
1
,
2017
No Comments
लफ़्ज़ों से बनते किस्से
0
0
votes
Article Rating
“उस उमस एवं गर्मी से भरी मई के महीने में, शाम ५ बजे, सुब्रोजित बासु उर्फ़ मिकी, तीसरे क़त्ल की तैयारी कर रहा था| क़त्ल करते रहना कितना ख़तरनाक हो सकता था, उसे इस बात का पूरी तरह से एहसास था|”
प्रतियोगिता के नियम
साहित्य विमर्श
New Comments First
Old Comments First
0
0
votes
Article Rating
Subscribe
Login
Notify of
new follow-up comments
new replies to my comments
Label
{}
[+]
Name*
Email*
Website
Label
{}
[+]
Name*
Email*
Website
0
Comments
Oldest
Newest
Most Voted
Inline Feedbacks
सभी टिप्पणियाँ देखें
wpDiscuz
Insert