एविडेंस #२ @ क्राइम सीन
अपराध और अपराधी, दोनों ही क्राइम-डिटेक्शन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। क्राइम डिटेक्शन में अपराधी का कैसे पता लगाये जाए, यह जानना बहुत जरूरी है। अपराध-स्थल से मिलने वाला एक सुराग भी पुलिस या डिटेक्टिव को संदिग्ध व्यक्ति तक पहुँचाने में सहायता प्रदान करता है। ये सुराग पुलिस को, अपराध को री-कंसट्रक्ट करने में भी सहायता प्रदान करते हैं। क्राइम-इन्वेस्टीगेशन का लक्ष्य होता है – अपराध स्थल या मौकायेवारदत से – सबूतों को पहचानना, उनको डॉक्यूमेंट करना और इकठ्ठा करना। अपराध की गुत्थी को सुलझाना इस बात पर निर्भर करता है कि सभी सुरागों से मिलने वाली जानकारी से एक तस्वीर बनायी जाए जो यह जानने में सहायता करे कि अपराध-स्थल पर हुआ क्या था।
जब भी दो इंसान एक दुसरे के संपर्क में आते हैं, तो कुछ न कुछ आदान-प्रदान जरूर होता है, जैसे कि – बाल, स्किन सेल, कपड़े के रेशे, इत्र, शीशे के अंश, दुसरे व्यक्ति से कपड़ों से गिरे अवांछित चीजें, मेकप, आदि कई प्रकार के सामान या चीजें, एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति पर ट्रान्सफर होती हैं। जब अपराधी, अपने शिकार के संपर्क में आता है, तब भी कई प्रकार के चीजों का आदान-प्रदान हो जाता है, जिसके बारे में अपराधी और शिकार दोनों को पता ही नहीं चलता। एक फॉरेंसिक एग्जामिनर के लिए, ये चीजें, जो ट्रान्सफर होते हैं, उसे ‘ट्रेस एविडेंस’ कहा जाता है। उदहारण स्वरुप :-
- कपड़े एवं बिस्तर वैगेरह पर बाल का पाया जाना
- हेयर-ब्रश पर बाल का पाया जाना
- गिलास पर उँगलियों के निशान
- घर एवं जूतों पर मिट्टी
- कपड़ों पर खून की एक बूँद
- टिश्यू पेपर
- टूटे हुए गिलास
- कपड़े का रेशा
डॉ. एडमोंड लोकार्ड पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने पहली दफा इन चीजों को नोट करना शुरू किया। डॉ. एडमोंड लोकार्ड, विश्व के पहले फॉरेंसिक लैब, जो कि ल्योन, फ्रांस में है, के डायरेक्टर थे। उन्होंने फॉरेंसिक साइंस में कई ऐसे आइडियाज को जन्म दिया जो आज के समय में भी फॉरेंसिक साइंस के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। उनका मानना था कि जब कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति या वस्तु के साथ संपर्क में आता है, तो कई फिजिकल एविडेंस का आदान-प्रदान होता है। ये सुराग, जिनका आदान-प्रदान होता है किसी भी अपराधिक गतिविधि के मूक-गवाह होते हैं ।
सबूत/एविडेंस को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है :- प्रत्यक्ष सबूत (डायरेक्ट एविडेंस) और परिस्थितिजन्य सबूत (Circumstantial एविडेंस)। प्रत्यक्ष सबूत में उन चीजों को लिया जाता है जो पहली बार में ही हाथ लग जाते हैं, जैसे कि चश्मदीद गवाह का बयान, CCTV कैमरे की फुटेज, पुलिस द्वारा घटनास्थल की बनायीं गयी विडियो या पुलिस फोटोग्राफर द्वारा खींची गयी तस्वीर आदि। वहीँ ‘परिस्तिथिजन्य सबूत’ अप्रत्यक्ष सबूत होते हैं, जिनको तथ्यों को साबित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। संदिग्ध, अपराधी या पीड़ित, कोई भी हो, उन्हें कभी पता ही नहीं चलता कि कब उन्होंने ‘मौकाए-वारदात’ पर परिस्थितिजन्य सबूतों को छोड़ दिया था। एक्चुअली, ‘परिस्थितिजन्य सबूत’, संदिग्ध एवं अपराध स्थल के बीच एक कनेक्शन साबित कर देते हैं। जैसे कि – क्राइम सीन पर, किसी संदिग्ध व्यक्ति के रिवाल्वर का पाया जाना, एक उस संदिग्ध व्यक्ति के खिलाफ परिस्थितिजन्य सबूत है, जिससे यह साबित होगा कि वह क्राइम-सीन पर मौजूद था।
परिस्थितिजन्य सबूतों को भी उनकी प्रकृति के आधार पर दो भागों में विभाजित किया जाता है – फिजिकल और बायोलॉजिकल। फिजिकल एविडेंस में – उँगलियों के निशान, पाँव के निशान, जूते के प्रिंट, टायर के निशान आदि आते हैं। वहीँ कपड़े के रेशे, हथियार, गोलियां आदि भी फिजिकल एविडेंस के अंतर्गत आते हैं। बायोलॉजिकल एविडेंस में खून, बाल, थूक आदि आते हैं। फिजिकल एविडेंस, संदिग्धों की गिनती को कम कर सकता है, जबकि बायोलॉजिकल एविडेंस संदिग्धों की गिनती को कम से कमतर कर देता है और कोर्ट में यह ठोस सबूत भी माना जाता है।
‘ट्रेस एविडेंस’, परिस्थितिजन्य सबूतों का ही एक प्रकार होता है जैसे कि हेयर-ब्रश पर बाल का मिलना, गिलास पर फिंगरप्रिंट का मिलना, शर्ट पर खून की बूंदों का मिलना आदि।
एविडेंस को दो और भागों में विभाजित किया जा सकता है – क्लास एविडेंस एवं इंडिविजुअल एविडेंस। क्लास एविडेंस, इंसानों एवं चीजों के समूह को चिन्हित करता है। जैसे कि खून के सैंपल से यह जान लेना कि पाया गया खून किस ब्लड ग्रुप का है, क्राइम सीन के बारे में यह बता देता है कि सभी संदिग्ध व्यक्तियों में से एक का ब्लड ग्रुप जो पाया गया है, वह होगा। यह उस ब्लड ग्रुप के व्यक्तियों को संदिग्धों की सूची से बाहर कर देता है, जिनका ब्लड ग्रुप, पाए गए ब्लड ग्रुप से नहीं मिलता। इंडिविजुअल एविडेंस, किसी एक व्यक्ति या वस्तु की पहचान बताता है। इंडिविजुअल एविडेंस किसी ख़ास व्यक्ति या वस्तु के, यूनिक गुण के बारे में बताता है जैसे कि फिंगरप्रिंट।
एविडेंस #१ @ कोर्ट ऑफ़ लॉ