Skip to content

पुस्तकें एवं लेखन

0 0 votes
Article Rating

मैं कभी-कभी अचरज में पड़ जाता हूँ कि जिस पुस्तक को मैं पढ़ रहा हूँ, उसे कितने लोगों ने पढ़ा होगा, कम से कम सैंकड़ों लोगों ने तो जरूर पढ़ा होगा। सैंकड़ों लोगों के हिसाब से किताब के किरदार भिन्न-भिन्न रूप से लोगों का मन मोहते होंगे, उनकी आलोचनाओं का शिकार होते होंगे। सभी के विचार किरदारों एवं कथानक के लिए भिन्न होंगे। जरूरी नहीं जो मैं सोच रहा हूँ वैसा ही कुछ सभी सोचें। कुछ को वो हिस्से पसंद आये होंगे जो मुझे पसंद नहीं आया, वहीँ इसका उलट भी घटित होता होगा। मैं सोचता हूँ इस तरह से कितनी पुस्तकों का जन्म हो सकता है, क्योंकि पढ़ते वक़्त मानव की मानसिक स्थिति से बहुत कुछ उस कहानी के बारे में अलग-अलग भावनाएं उत्पन्न होती होंगी।
 
#amwriting

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
सभी टिप्पणियाँ देखें