ऊँचे-ऊँचे देवदार एवं बलूत के वृक्षों ने सूरज की रोशनी को पूरी तरह से ढक लिया था जिसके कारण दोपहर के समय भी उस जंगल में शाम का अहसास हो रहा था। जहां उस जंगल में आसमान को देखना आसान नहीं था वहीँ जमीन को देख पाना भी मुश्किल था। बर्फ की मोटी-मोटी परतों से वह धरती दूर-दूर तक बर्फ के रेगिस्तान जैसी नज़र आ रही थी। ठण्ड के कारण हर्ष वर्मा की हालत खराब हो रही थी। अपने मौजूदा प्रोफेशन में यह उसका सबसे मुश्किल असाइनमेंट था और इस बात का एहसास उसे अभी थोड़ी देर पहले ही हुआ
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