1 लाला हंसराज से मेरी पहले-पहल जान-पहचान सन् 1924 ई० में हुई थी। उन दिनों विश्वविद्यालय की परीक्षा में पास होकर मैं अभी बाहर निकला ही था। रुपये-पैसे की कुछ कमी तो थी नहीं। पिताजी जो रुपया बैंक में जमा कर गए थे, उसके सूद से हिंदू होटल में शिष्ट शिक्षित मनुष्य की तरह रहकर […]
पहली झाँकी जासूसी जान पहचान भी एक निराले ही ढंग की होती है। हैदर चिराग अली नाम के एक धनी मुसलमान सौदागर का बेटा था। उससे जासूस की गहरी मिताई थी। उमर में जासूस से हैदर चार पाँच बरस कम ही होगा, लेकिन शरीर से दोनों एक ही उमर के दीखते थे। मुसलमान होने पर […]
आज डुमराँव स्टेशन से राजप्रासाद तक बड़ी धूम है. ट्राफिक सुपरिटेंडेंट के दफ्तर से तार-पर-तार चल रहा है. दीनापुर से डुमराँव तक सिग्नेलरों का नाकोंदम है. एक खबर (मेसेज) फारवर्ड होते देर नहीं कि दूसरे के लिए तारबाबू टेलीग्राफ-इंस्ट्रूमेंट पर रोल करते हैं. डी.टी.एस. के ऑफिस से एक को मंसूख करनेवाला, दूसरा फिर उसको कैंसल […]