ऐन आधी रात के वक्त कादिर मियाँ को मालूम हुआ कि खुदावन्द करीम ख्वाब में कह रहे हैं—अमाँ कादिर, तुम दुनिया के भोले-भाले बाशिन्दों को मेरा यह इलहाम सुना दो कि कल जुमेरात के दिन शाम की नमाज के बाद मैं आऊँगा, और उसी वक्त तमाम लोगों से मिल कर कयामत का दिन मुकर्रर करूँगा।” […]
सिमरौली गाँव के लिए उस दिन दुनिया की सबसे बड़ी खबर यह थी कि संझा बेला जंडैल साब आएँगे। सिमरौली में जंडैल साहब की ससुराल है। वहाँ के हर जोड़ीदार ब्राह्मण किसान को सुखराम मिसिर के सिर चढ़ती चौगुनी माया देख-देखकर अपनी छाती में साँप लोटता नजर आता था। बेटी के बाप तो कई धनी-धोरी […]
शाम का समय था, हम लोग प्रदेश, देश और विश्व की राजनीति पर लंबी चर्चा करने के बाद उस विषय से ऊब चुके थे. चाय बड़े मौके से आई, लेकिन उस ताजगी का सुख हम ठीक तरह से उठा भी न पाए थे कि नौकर ने आकर एक सादा बंद लिफाफा मेरे हाथ में रख […]
अपने जमाने से जीवनलाल का अनोखा संबंध था। जमाना उनका दोस्त और दुश्मन एक साथ था। उनका बड़े से बड़ा निंदक एक जगह पर उनकी प्रशंसा करने के लिए बाध्य था और दूसरी ओर उन पर अपनी जान निसार करनेवाला उनका बड़े से बड़ा प्रशंसक किसी ने किसी बात के लिए उनकी निंदा करने से […]
अरी कहाँ हो? इंदर की बहुरिया! – कहते हुए आँगन पार कर पंडित देवधर की घरवाली सँकरे, अँधेरे, टूटे हुए जीने की ओर बढ़ीं. इंदर की बहू ऊपर कमरे में बैठी बच्चे का झबला सी रही थी. मशीन रोककर बोली – आओ, बुआजी, मैं यहाँ हूँ. – कहते हुए वह उठकर कमरे के दरवाजे तक […]